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356
तरुण समानता पुत्रों ने अपने खड़क को से खींच लिए बहुत ने अपने अपने बालों को हवा में ऊंचा करके चीत्कार करना आरंभ कर दिया सब लोग चिल्लाने लगे विश्वासघात विश्वासघात बनते माहनामा ने वजी संघ से विश्वासघात किया है उन्हें इसका दंड मिलना चाहिए
ब्राह्मण की दृष्टि और वाणी में बहुत भाई था पर तरुण ने उसे पर विचार नहीं किया अशोक को आगे बढ़कर वह अंधकार में बिल
अध्याय 60 5 सालों की
बनते भगवान भगवान भीतर चले सगत सीडीओ पर चढ़े यह चिरकाल तक मेरे हित और सुख के लिए होगा
भगवान देवी आम्रपाली आई
इतनी देर बाद यह सुधा भाषण हुआ
धर्म घर से बेघर
आप कौशांबी पति महाराज उद्यान है देव आज्ञा में हुई मेरी अभिनय की एक
के बाद संगीत सुधा का वर्णन हुआ तो जैसे सभी उपस्थित और गन का पुरुष विकृत होकर उसमें
आम्रपाली ने हंस कर कहा देव को महादेवी वास्ता का भी तो लिहाज करना उचित था जिन्होंने शकुंतला और उषा से भी बढ़कर जहाज किया है परंतु क्या सुश्री का लिंग से ना बहुत सुंदरी
कौन है
आम्रपाली आश्चर्य मूड हो
सर्वत्र
कुछ देर बाद राजकुमारी
उनके होंठ जैसे आगे कुछ खाने में असमर्थ होकर जड़ हो गए उन्होंने आंखें फैला कर परिषद भवन में उम्र थी उत्तेजित भीड़ को देखा जिनकी जलती हुई आंखें उन्हें पर
भानगढ़ आज आम्रपाली 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी है बट जी संघ के कानून के अनुसार अब वह स्वाधीन है और अपने प्रत्येक स्वार्थ के लिए उत्तरदाई है अतः आज से मैं इसका अभिभावक नहीं हूं वह स्वयं ही परिषद को अपना मंतव्य
भद्र नागरिकों ने विद्रोही मुद्रा से कहा यह सरासर कानून की अवहेलना है यह गुरु पर अपराध है कानून की मर्यादा का पालन होना ही चाहिए प्रत्येक मूल
प्रेम का व्यवसाय करते यद्यपि मुझे अधिक कल नहीं बिता फिर भी मैं अब और किसी नवीनता की आशा नहीं करती आपकी बातें दार्शनिक और जैसी है किंतु बनते प्रेम का रहस्य दार्शनिक ऑन की अपेक्षा प्रेमी जान ही अधिक जानते हैं
अश्व को सामने उसको वार्ड में बंद दो वहां एक बालक सो रहा है उसे जगह दो वह उसकी सब व्यवस्था कर देगा और तुम
यह कहकर उन्होंने वह प्याला भी रिक्त करके मधले खान की और बढ़ा दिया बदलेगा ने देवी का इंगित पर उसे फिर अखंड
यह तो बड़े आश्चर्य की बात
मगध में जो सब कहते हैं वह तो सुना परंतु संधि व ग्राहक जयराज क्या कहते हैं जय राज हंसती है उन्होंने धीरे से कहा जय राज कहता है वह कर शरीर सदलपुर वैशाली में उपस्थित है जयराज की बात सुनकर सब आवाज होकर उनका मुंह टाकने लगे सेनापति ने कहा यह क्या कहता है
गणपति ने
आज सूर्योदय से पूर्व ही तुम अपनी अभिलाषा पूरी कर लेना देवी आम्रपाली
वैशाली की जनपद कल्याणी देवी अमरपाली से मैं ऐसे ही प्रत्यय की आशा करता था परंतु भद्रे तुम्हें वशीभूत करने की एक और वास्तु मेरे पास है
अब यह राजगृह का वह पुरातन मठ ना मालूम उसे कैसा कुछ अशुभ टच और अपनी ऐसा लग रहा था इसलिए कल में आचार्य की तो आकृति ही बदल गई थी
गणपति सनों
आम्रपाली ने पीतिका पर बैठते हुए
वह सोच रही थी पृथ्वी पर एक ऐसा व्यक्ति अंतर है तो इसके तलवों में मेरे आवाज पर आते छाले पड़ते हैं जो मुझे सार्वजनिक स्त्री के रूप में नहीं देखा
मैं नहीं जानती तुम कौन हो मनुष्य हो कि देव गंधर्व किन्नर या कोई माया भी देते हो मुझे तुमने समाप्त कर दिया है
गणपति और महाबली कृति आकर अपने आसन पर बैठकर प्रतिहार ने सन्निपात के कार्य आरंभ की सूचना सूर्य
वह अब उन कवियों चित्रकार हो और कलाकारों का स्मरण करती जिनकी कृति से वह प्रभावित हो चुकी थी और उन पर एक संतोष की विचारधारा दौड़ा कर बहुधा इस लता कुंज में इस श्वेत मरमर की श्वेत शीतल पटिया पर
फिर शहर शांत स्वर में स्थिर वन
शब्द और प्रकाश दोनों वहीं से आ रहे हैं वह चुपके से सीधी उतरकर गर्भ ग्रह की ओर
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मुझ पर दया
वह क्या बनते भद्र पुरुष ने मार्ग वीणा का आवरण उठाया उसे पर आश्चर्यजनक हाथी दांत का काम हो रहा था और वह दिव्या वीणा साधारण वीणा से अद्भुत थी आम्रपाली ने आश्चर्यचकित होकर
पजेस्ड जॉर्ज स्त्री अपने अल्प वयस्क पति को छोड़ अन्य पुरुष के पास रहे तथा फिर पहले पति के वयस्क होने पर उसके पास आ जाए वह पुनर्भवा है यदि उसका पति पागल पतित या नपुंसक हो और वह उसे छोड़कर दूसरे पति से विवाह करें तो वह पुनर्व
सुंडा
इस पर भी सन्नाटा रहा तब तीसरी बार घोषणा हुई अब आचार्य अजीत कैसे कांबली ने
अमरनाथ त्रिलोकी में कोई जीवधारी वैशाली की जनपद कल्याणी आम्रपाली के समान 3 ग्रामों की ताल पर नृत्य कर सकता है किंतु देव वह नित्य मैं अवश्य अवस्था में किया है क्या अब मैं फिर वैसा ही नृत्य कर सकती हूं यदि फिर वैसा ही वीणा वादन हो
वह तीन युवक सामंत पुत्र उपादान के सहारे पड़े मध्य पान कर रहे थे मगले का स्वयं उन्हें मध्य दल दल कर पिला
नहीं नहीं 100 पत्रों से भी नहीं सहस्त्र पत्रों से भी नहीं
अब यहां से भागो क्या यह संभव है निरपट्टा नहीं है सोने आगे बढ़कर
प्रहरी को भी रोष आ गया उसने रूड स्वर में कहा मैं कर नहीं हूं चलो वह अंतपुर की ओर चला पीछे कुंडली और सोम चले अनंतपुर की तौर पर भी निर्मित पहुंच गए वहां पर भी प्रहरी थे कुंडली ने उन्हें सुन कर सोम से कहा हाल तू जाकर देवी को सूचना दिया तब तक मैं इस छोर पर पहरा दूं
अब आडवाणी और पुरोहित ने पलाश के पत्र में रखे जालौन से फिर राजा का अभिषेक
नहीं होती वहां तो दो का भेद नष्ट होकर एकीकरण हो जाता है किंतु बनते जो कुछ अनुभूति मुझे इस समय हुई वह अभूतपूर्व है क्या आप स्वयं गंधर्व राज चित्रित अलकापुरी से मुझे कृत्य करने पधारे
यह नक्षत्र की नाही
दासी बलभद्र का दामन यदि तत्काल नहीं हुआ तो फिर आकर की सारी व्यवस्था नष्ट हो जाएगी अब ना बड़ा अध्यक्ष काव्या ने खड़े होकर
युवराज ने तीर्थ नेत्रों से उसे देखते हुए
प्रतिष्ठित
पीले कुंड
सामने पुरानी कारों की दरार से प्रकाश आ रहा था उसी में से झांक कर जो कुछ उसने देखा देखकर उसकी हड्डियां कम उठी गर्भ ग्रह अधिक बढ़ाना था उसमें दीपक का धीमा प्रकाश हो रहा था आचार्य एक व्यग्र चरम पर
शास्त्रों दीपों की झिलमिल ज्योत के नील पदम सरोवर में प्रतिबिंबित होने से ऐसा प्रतीत हो रहा था मानव स्वच्छ नील गगन गगन तारागढ़ सहित सदा ही भूमि पर उतर आया है उसे दिन देवी की आज्ञा से आवाज के संपूर्ण द्वार खोल दिए गए थे और जनसाधारण को बी रोकथोक वहां आने की स्वच्छता थी आवाज में आज भी लोग भी आनंद से आ जा रहे थे जो कभी वहां आने का साहस नहीं कर सकते
देवी आम्रपाली अपने हाथों से एक पत्र मध्य देकर यदि अपने को सुप्रसिद्ध करना चाहे तो यह उनके लिए सर्वोत्तम
है मित्र वरुण अपने रथ पर चादो और द्वितीय अदिति सीमा वध और असीम को देखो
मैं उनसे क्या कहा
मेरे पास खड़क है चिंता नहीं कुंडली
आओ मित्र
अंत में विरक्त हो अनमनी हो वह एकांत में इसी कुंज में आत्मा
मित्र गौतम का अभिप्राय क्या है
इतना रूप इतना सस्ता इतनी अपूर्व का कभी किसी ने एक स्थान पर देखी नहीं थी उसने कंठ में सिंगल के बड़े बड़े मोतियों की माला धारण
ब्राह्मण नहीं तो कौन वह शुद्ध भी नहीं गौतम मैं उसे पार्षद घोषित करता हूं और उसकी मर्यादा स्थापित करता हूं कि वह अपने कुल की सेवा
उसका परिचय रहस्य पूर्ण है संभवत है एक ही व्यक्ति उसका परिचय जानता है पर उसने हॉट सी
अब मैं एक दिन में संपूर्ण श्री नहीं बन सकता हूं परंतु राजकुमारी कहां
सुगंधित मध्य डाली जा रही थी और विविध प्रकार के बुने और तले हुए मास बक्श भोज स्वच्छता से खाए पिए जा रहे थे दीपा धारों पर सहस्त्र सहस्त्र दीप सुगंधित तेलों के कारण सुरभि विस्तार कर
आनंद है आनंद है
ऐसी भयंकर सूचना क्या तुमने उसके संबंध में यथा तथ्य जाना है भद्र बनते मैं उसे मिलाया हूं अब तक जो लिस्ट भी उसके द्वारा मारे नहीं यह उसकी कृपा है नहीं तो कोई दिन ऐसा नहीं जाता जिस दिन वह 100 स्वर्ण देने वाले किसी लिच्छवी तरुण का अपने आवाज में स्वागत ना करती हो यह भी संभव है कि वह किसी माहिती योजना की प्रतीक्षा में
बंटी आपके आदेश पर मैंने विचार कर लिया है मैं वजी संघ के अधिकृत कानून को स्वीकार करती हूं यदि गाना सुनने बात को मेरी शर्तें
संथागार के पिछले भाग से संलग्न निशांत हर में थे जिसमें चारों ओर अनेक इटालियन ऐसी चतुराई से बनाई गई थी जिनका भेद और विकास के मार्गो का सरलता से पता ही नहीं लगता था एक बार एक अपरिचित जान उन टेढ़े तिरछे मार्गो में फंस कर फिर निकल ही नहीं सकता था इसी निशांत के बीचो बीच भूगर्भ में यह मोहन
तू ब्रह्म है तू कृपालु रूद्र है राजा
जैसी बलभद्र ही सोमप्रभा है क्षण भर के लिए सब शब्द बैठे रहे सोने से विचलित हो गए सिंह ने
धीरे धीरे आम्रपाली ने आंखें खोली आगंतुक महापुरुष ने मुस्कुराकर कहा देवी आम्रपाली की
उसने उन्माद ग्रस्त से होकर दोनों हाथ
प्रेमियों के प्रेम संदेश और मिलने वालों की प्रार्थना से उसे सांस लेने का अवकाश न था वह सोच
किसी ने उनकी तरफ नहीं देखा आप बी वास्तविक अंतःपुर में आ गए सोमनाथ खालिद वाणी से
भागवत अरिहंत प्रबुद्ध बुद्ध ने इतना काहे उच्च स्वर से कहा भिक्षु महासचिव आम्रपाली भिक्षुणी का स्वागत करो
जो भी हो मैं निर्मम नीरज वैज्ञानिक हूं फिर भी आर्य का कष्ट अब नहीं
वेस्पा में का
उपवन में देश विदेश के बहुत से वृक्ष लगे थे उन्हें देश देशांतर से लाने उनकी प्रकृति के अनुकूल जलवायु में उन्हें पालने में बहुत द्रव्य खर्च
कांटेक्ट मेरा संदेश ले जाओ फिर जैसा वह
क्या तुम सम प्रभु
युवक ने कहा क्या सोच रही हो
उन्मुक्त भाइयों में उनके श्वेत वस्त्र और श्वेत दाढ़ी लहरा रही थी और उसने पर बांध हीरा धक धक चा
यदि आपको मेरी शर्तें स्वीकार न हो तो मैं इस नील पदम प्रसाद में आपके पति को की प्रतीक्षा करूंगी इतना कह कर उसने अवगुण धन से शरीर को अच्छा दिन किया और वृद्धि महान मां का हाथ पकड़ कर कहा
देखते ही देखते मगध प्रसाद हलचल का केंद्र हो गया विविध भारती बजे उठे सम्राट ने अपना रतनगढ़ की कमर में बांधते हुए कहा बड़े अपनी स्वामिनी को मेरी यह भेंट देना यह कह एक और वास्तु वृद्धि के हाथ में चुपचाप दे दी वह वस्तु क्या थी यह ज्ञात होने का कोई उपाय
आयुष्मान
देवी आम्रपाली कभी हम इन दुर्लभ क्षणों के मूल्य का भी अंकल करेंगे
यदि किसी स्त्री का पति एकाएक विदेश चला जाए तो वह 6 वर्ष उसकी राह देख कर पुनर्विवाह कर ले पर यदि पति ब्राह्मण हो और विद्या अध्ययन के लिए गया हो तो श्री 12 वर्ष
इस प्रकार द्वारा कोष्टक पर आम्रपाली को शांत दुखी और अश्रुपूरित घड़ी देख आयुष्मान आनंद
उनकी आंखों से झर झर अश्रु धारा
उनके सबके श्वेत हो गए थे किंतु एक बलिष्ठ महापुरुष देख पढ़ते थे वह पद्मासन लगाए शांत मुद्रा में वृक्ष की शीतल छाया में स
अध्याय एक दिक्कत
अध्याय 10 वैशाली का
देवी ने कृत्रिम गंभीर धारण करके
कुंडली ने कहा सॉन्ग मैं किसी बात का कल तक अंतःपुर में रह जाऊंगी तुम अभी जो और प्रातः काल ही भगवान से
उसने सपने की भांति होठों पर जब का पुजारा फिरते हुए भ्रांत नेत्रों से आचार्य की ओर देखकर
पर पुरुष से भोगी जाकर भी उसका कन्या भाग दुष्ट
और वह यक्षिणी महाराज ग्रह की प्रसिद्ध वेश्या मधी
प्रत्येक पाली में 10 10 जनों ने पिया एक ऋतिक और 9 और 100 जनों ने सोमपान किया राजा ने सबको सोने के कमरों की मलाई पहने अब यज्ञ की समाप्ति पर सहस्त्र शंख ध्वनि