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गोलोक. गोलोक परम पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्णा का निवास स्थान है। जहाँ पर भगवान कृष्ण श्री राधा रानी संग निवास करते हैं। वैष्णव मत के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ही परंब्रह्म हैं और उनका निवास स्थान गोलोक धाम है, जोकि नित्य है, अर्थात सनातन है। इसी लोक को परमधाम कहा गया है। कई भगवद्भक्तों ने इस लोक की परिकल्पना की है। गर्ग संहिता व ब्रह्म संहिता मे इसका बड़ा ही सुंदर वर्णन हुआ है। बैकुंठ लोकों मे ये लोक सर्वश्रेष्ठ है, और इस लोक का स्वामित्व स्वयं भगवान श्री कृष्ण ही करते हैं। इस लोक मे भगवान अन्य गोपियों सहित निवास तो करते ही हैं, साथ ही नित्य रास इत्यादि क्रीड़ाएँ एवं महोत्सव निरंतर होते रहते हैं। इस लोक मे, भगवान कृष्ण तक पहुँचना ही हर मनुष्यात्मा का परंलक्ष्य माना जाता है। श्री गर्ग-संहिता मे कहा गया है: अर्थात- जो सर्वात्मा होकर भी आनंदचिन्मयरसप्रतिभावित अपनी ही स्वरूपभूता उन प्रसिद्ध कलाओं (गोप, गोपी एवं गौओं) के साथ गोलोक मे ही निवास करते हैं, उन आदिपुरुष गोविंद की मै शरण ग्रहण करता हूँ। गोलोक धाम को वृन्दावन,साकेत, परंस्थान, सनातन आकाश, परंलोक, या वैकुंठ भी कहा जाता है। संसारिक मोह-माया से परे वह लोक अनिर्वचनीय है अर्थात उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती; उसकी परिकल्पना भी वही कर सकता है जिसके हृदय मे भगवद्भक्ति व प्रेम हो। इस धाम को ही प्रेम और भक्ति का धाम भी कहा जाता है। वह लोक स्वयं कृष्ण की भांति ही अनंत है। जिस प्रकार संसार को चलाने वाले तीनों गुणो- सतोगुण, रजोगुण, एवं तमोगुण से भी परे श्री कृष्ण है, उसी प्रकार यह धाम भी इन तीनों गुणो से परे है । "भगवद्गीता" में (15.6) भगवान श्री कृष्ण के धाम का वर्णन इस प्रकार हुआ है- इसमे श्री कृष्ण कहतें हैं- "मेरा परमधाम न तो सूर्य या चंद्रमा द्वारा, न ही अग्नि द्वारा प्रकाशित होता है। जो लोग वहाँ पहुँच जाते हैं वें इस भौतिक जगत मे फिर कभी नहीं लौटते।" यह श्लोक उस परम धाम का वर्णन करता है। हम यह जानते हैं की भौतिक जगत (पृथ्वी लोक) के आकाश मे प्रकाश का स्तोत्र सूर्य, चन्द्र, तारे इत्यादि ही हैं। किन्तु इस श्लोक मे भगवान बताते हैं कि नित्य आकाश मे किसी सूर्य, चन्द्र, अग्नि की कोई भी आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर से निकालने वाली ब्रह्मज्योति से प्रकाशित है। ब्रह्मसंहिता (5.37) मे भी इसका अति सुंदर वर्णन मिलता है- गोलोक एव निवसत्यखिलात्मभूतः गोलोक से गायो का काशी आगमन. गोलोक से भगवान शंकर की एक कथा बहुत ही प्रचलित है कि भगवान शंकर ने गऊ को काशी जाने का आदेश दिया, जब वे भोलेनाथ की आज्ञा से काशी पहुंचे तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर मां गौरी सहित दर्शन दिए, गायो को भगवान शंकर ने लिंग स्वरूप में और मां गौरी ने मूर्ति स्वरूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ साक्षात दर्शन दिए, गौओ के इस प्रकार शंकर और मा गौरी के प्रत्यक्ष दर्शन से गोप्रेक्ष नाम हुआ। और भगवान ने आशीर्वाद दिया कि जो कलयुग में जो मनुष्य गोप्रेक्ष का दर्शन करेगा उसको अनंत गौदान का फल प्राप्त होगा, और क्लेश का नाश होगा । स्कंद पुराण में लिखा है - महादेवस्य पूर्वेण गोप्रेक्षं लिंगमुत्तमम् ।। ९ ।। तद्दर्शनाद्भवेत्सम्यग्गोदानजनितं फलम् ।। गोलोकात्प्रेषिता गावः पूर्वं यच्छंभुना स्वयम् ।। १० ।। वाराणसीं समायाता गोप्रेक्षं तत्ततः स्मृतम् ।। गोप्रेक्षाद्दक्षिणेभागे दधीचीश्वरसंज्ञितम् ||११|| महादेव जी का पूर्व दिशा में एक बहुत ही अध्भुत लिंग है जिसे गोप्रेक्ष नाम से जाना जाता है, यह अर्धनारीश्वर का ऐसा स्वरूप जिसमें शिव स्वयं लिंग रूप में और मां गौरी स्वयं मूर्ति रूप में एक ही विग्रह में साथ-साथ विराजते हैं भगवान शंकर ने गायो को स्वयं गोलोक से काशी जाने का आदेश दिया, जब वे भोलेनाथ की आज्ञा से काशी पहुंचे तो भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर मां गौरी सहित दर्शन दिए, गायो को दर्शन देने के कारण गोप्रेक्ष नाम हुआ, और यहां दर्शन करने से अनंत गौ दान का फल प्राप्त होता है और दम्पत्य क्लेश नाश होता है वियुत्पत्ति. गोलोक (गो + लोक) शब्द का अर्थ है "गायों का लोक" या "कृष्ण का लोक"। ऐसा इसलिए क्योंकि कृष्ण एक ग्वाले हैं और उन्हे गायों से अत्यधिक स्नेह है, यही कारण है उस लोक को गायों का लोक अर्थात गोलोक कहा जाता है। संस्कृत का शब्द "गो" यहाँ "गाय" के लिए और "लोक" यहाँ "क्षेत्र" के लिए उपयोग हुआ है। भगवान कृष्ण को गोलोकविहारी भी कहते हैं क्योंकि वें गोलोक मे रहते हैं और राधा को राधिका कहा जाता है। विवरण. ब्रह्म संहिता मे (5.29) इसका अतीव सुंदर वर्णन मिलता है। अनुवाद- "जहां लक्ष लक्ष कल्पवृक्ष तथा मणिमय भवनसमूह विद्यमान हैं, जहां असंख्य कामधेनु गौएँ विद्यमान हैं, शत-सहस्त्र अर्थात हज़ारों- हज़ारों लक्ष्मियाँ-गोपियाँ प्रीतिपूर्वक जिस परम पुरुष की सेवा कर रहीं हैं, ऐसे आदिपुरुष गोविंद का मै भजन करता हूँ। सम्पूर्ण 18 पुराणों मे, ब्रह्म वैवर्त मे स्पष्ट रूप से लिखा है कि गोलोक वृन्दावन, वैकुंठ लोक से 50 करोड़ योजन ऊपर स्थित है और 3 करोड़ योजन मे फैला हुआ है। गोलोक ब्रह्मांड से बाहर तीनों लोकों से ऊपर ब्रह्म ज्योति मे विद्यमान है। गोलोक के वामभाग मे शिवलोक है, जहां परमात्मा अपने शिव स्वरूप मे विद्यमान हैं। वैकुंठ और शिवलोक भी गोलोक कि भांति नित्य हैं। ये सभी कृत्रिम या भौतिक सृष्टि से परे हैं। सनातन गोस्वामी, जोकि गौड़ीय वैष्णववाद की भक्ति परंपरा में कई महत्वपूर्ण कार्यों के लेखक रहे हैं, ने कहा है,- "श्री गोलोक को आध्यात्मिक प्रयास का अंतिम गंतव्य माना जाता है।" गौड़ीय वैष्णववाद के आचार्य इसे असीम बताते हैं। वैकुंठ और गोलोक दोनों को नित्य धाम (अस्तित्व का शाश्वत क्षेत्र) माना जाता है, जिसका ब्रह्मांडीय विघटन के बाद भी सर्वनाश नहीं होता। भगवान कृष्ण अपने अनादि दो-भुज (श्री कृष्ण) रूप में गोलोक मे और अपने चतुर्भुज भगवान विष्णु के रूप में वे वैकुंठ लोक में सदा निवास करते हैं। सभी वैकुण्ठ और गोलोक का उल्लेख वैष्णव विद्यालयों जैसे गौड़ीय वैष्णववाद, स्वामीनारायण सम्प्रदाय, प्रणामी, वल्लभाचार्य, निम्बार्क सम्प्रदाय और शास्त्रों जैसे पंचरात्र, गर्ग संहिता, ब्रह्म संहिता, ब्रह्म वैवर्त में मिलता है। देवी भगवत पुराण (नौवीं पुस्तक) जिसमें श्री कृष्ण को परम ब्रह्म के रूप में दर्शाया गया है, जो देवी का पुरुष स्वरूप है और गोलोक के स्वामी हैं। गोलोक संरचना. सभी वैकुंठ लोक कमल की पंखुड़ियों के समान हैं और उस कमल का प्रमुख भाग ही गोलोक है। यह सभी वैकुंठों का केंद्र है। इसी प्रकार अपने विभिन्न रूपों मे श्री कृष्ण इन वैकुंठ धामों मे निवास करते हैं। गोलोक को तीन अलग-अलग भागो मे विभाजित किया गया है- गोकुल, मथुरा और द्वारका। जैसा कि ब्रह्म-संहिता (५.४३) में कहा गया है, आध्यात्मिक आकाश के सभी वैकुंठ लोक (विष्णुलोक के रूप में जाने जाते हैं), गोलोक के भगवान श्री कृष्ण से प्रकट होते हैं। चित्रण. गर्ग संहिता के गोलोक खंड मे गोलोक का अत्यंत सुंदर चित्रण किया गया है। इस खंड की एक कथा के अनुसार जब पृथ्वी दानव, दैत्य व असुर स्वभाव के मनुष्य और दृष्ट राजाओं के दुराचार के भारी भार से दुखी होकर गौ का रूप धारण करके ब्रह्म देव के पास गई तो ब्रह्म देव ने पृथ्वी की समस्या के निवारण के लिए सभी देवताओं सहित विष्णुलोक (वैकुंठ) जाने का निर्णय किया। जब वे सब भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो उन्होने उन्हे भगवान कृष्ण के पास चलने का अनुग्रह किया। यह सुनकर की भगवान विष्णु से बड़ी भी कोई शक्ति है, सभी बहुत आश्चर्यचकित हुए, उन्होने तो आजतक येही जाना कि एक ब्रह्मांड है और उसमे त्रिमूर्ति ही परंब्रह्म भगवान हैं।वे सब ब्रह्मांड के शिरोभाग की ओर चले जिसका वामन के बाएँ पैर के अंगूठे से भेदन हो गया था, उसमे ब्रह्मद्रव्य भरा हुआ था। वे सभी जलयान से, उससे बाहर निकले। बाहर निकलने पर उन्होने देखा की ब्रह्मांड कलिंगबिम्ब (तूंबे) की भांति प्रतीत हो रहा है और इन्द्रायन फल के जैसे अनेक ब्रह्मांड इधर-उधर लुढ़क रहे हैं। वें जब करोड़ों योजन ऊपर की ओर बढ़े तो उन्होने वहाँ अत्यंत सुंदर आठ नगर देखे और विरजा नदी का सुंदर तट भी देखा। वहीं ऊपर उन्हे करोड़ों सूर्यों की ज्योति का पुंज दिखाई पड़ा, जिससे देवताओं की आँखें चौंधिया गयीं। देवताओं ने उस ज्योतिर्पुंज की, भगवान विष्णु के कहने पर, प्रार्थना की जिससे वह ज्योतिर्पुंज परम शांतिमय धाम प्रतीत होने लगा। उसमे प्रवेश करने पर उन्हे सर्वप्रथम हज़ार मुख वाले शेषनाग के दर्शन हुए। उन सभी ने शेषनाग को प्रणाम किया और आगे धाम मे प्रवेश किया। उन सबने देखा की वह स्थान अपने अंदर असीम सुख, शांति व समृद्धि अपने अंदर समेटे था, उन्हे उस धाम का कही अंत ही नहीं दिखता था। समय से परे, माया से परे, तीनों गुणो से परे, मन, चित्त, बुद्धि, अहंकार व समस्त 16 विकारों से भी परे उस सनातन गोलोक धाम के दर्शन करके सभी देवता मुग्ध हो गए। उन्होने ऐसा आलोकिक व अद्भुत धाम पहले कभी भी नहीं देखा था। धाम के मुख्य द्वार पर कामदेव के समान मनोहर रूप, लावण्य, शलिनी श्यामसुंदर विग्रहा, श्री कृष्ण पार्षदा द्वारपाल का काम करती थी। देवताओं ने अपना परिचय देकर उन्हे अंदर जाने की अनुमति मांगने का निवेदन किया। उन सखियों ने अंदर जाकर देवताओं के आने की बात कही तो अंदर से एक सखी, जिसका नाम शतचंद्रानना था, हाथ मे बेंतकी छड़ी लिए आयी, और देवताओं से बोली कि आप सभी किस ब्रह्मांड के निवासी हैं? तभी वो कृष्ण को सूचित करेगी। यह देखकर सभी एक दूसरे का मुख ताकने लगे और पूछा कि क्या और भी ब्रह्मांड हैं? शतचंद्रानना बोली कि क्या उन्हे नहीं पता कि विरजा नदी मे असंख्य ब्रह्मांड तैर रहे है और वो तो ऐसे बोल रहें कि उन्हे अपने ब्रह्मांड के अलावा किसी दूसरे का पता ही नहीं, ठीक गुलर के फल मे रहने वाले कीड़े कि तरह, जैसे उन्हे अपने फल के अलावा किसी दूसरे का पता ही नहीं होता। तब विष्णु ने कहा कि वे उस ब्रह्मांड से हैं जिसमे वामन के पग के अंगूठे से भेदन हो गया है और जिसमे भगवान का पृश्निगर्भ सनातन अवतार हुआ है। तब शतचंद्रानना अंदर गयी और उन्हे अंदर बुला लिया। वहाँ उन्हे गोवर्धन के दर्शन हुए जहां गोपियों द्वारा वसंत के उत्सव कि तैयारियाँ चल रही थी। कल्पवृक्ष व कल्पलताओं से सुशोभित रासमंडल अलंकृत हो रहा था । श्याम वर्ण यमुना नदी चारों और अपनी आभा बिखेर रही थी। विभिन्न पक्षियों का कलरव, भ्रमरों का भ्रमर गीत, वातावरण मे फैला सौन्दर्य, मंद-मंद बहती शीतल वायु उन सबका मन मोह रही थी। बत्तीस वनों से घिरा निज निकुंज चारदीवारी व खाइयों से अत्यंत सुंदर लग रहा था, आँगन का भाग लाल रंग वाले वटों से अलंकृत था। सात प्रकार की मणियों से बनी दीवारें तथा आँगन का फर्श शोभा पा रहा था। करोड़ों चंद्रमाओं के मण्डल की छवि जैसे चंदोवे चमक रहे थे, दिव्य पताकाएँ, खिले हुए फूल, मत्त-मयूर और कोयल का कलरव चारों दिशाओं को आनंदित कर रहा था। ये सब देख देवता आश्चर्य व आनंद से भरे जा रहे थे। गोपियों का दर्शन. वहाँ पर निवास करने वाली गोपियाँ बालसूर्य की भांति कांतिमान हैं व अरुण पीत कुंडल धारण करने वाली सखियाँ सौ-सौ चंद्रमाओं के समान गौरवर्ण से उद्भासित होती हैं। स्वछंद गति से चलने वाली वे सुंदरियाँ दर्पण मे अपना मुख निहारती हुई, या जल कुंड मे अपना शृंगार निहारती हुई आँगन मे भागी फिरती हैं। उनके गले मे हार व बाहों मे केयूर शोभा दे रहे हैं। नूपुर व चूड़ियों की मधुर झंकार वहाँ गूँजती रहती है। वे गोपांगनाएं मस्तक पर चूड़ामनी धारण करती हैं। उनकी खिलखिलाती हँसी वातावरण को परिशुद्ध कर रही है। उनकी कांति उस स्थान को आनंदित कर रही है। गायों का दर्शन. वहाँ द्वार-द्वार पर विभिन्न प्रकार की गायों का दर्शन होता है। वे गौएँ विभिन्न प्रकार के दिव्य आभूषणो से सज्ज हैं, और सफ़ेद पर्वत के समान प्रतीत होती हैं। सब की सब दूध देने वाली व नयी अवस्था की हैं। सभी की पूँछ का रंग पीला है। उनके घंटों व मंजीरों से सब ओर ध्वनि गुंजितमान होती रहती है। वें सब किंकिणिजालों से विभूषित हैं। वें विभिन्न रत्नो से बनी हार व मालाएँ पहने हुए हैं। उनके सींगों पर सोना मढ़ा गया है। सभी सुशीला, सुरुचा व सद्गुणवती हैं। ऐसी सुंदर व भव्य गायें वहाँ सब और विचर रही हैं। वहाँ पर विभिन्न रंगों की गायें हर और दिखाई पड़ती हैं। दूध देने मे समुद्र की तुलना करने वाली उन गायों के शरीर पर युवतियों के करचिन्ह (हाथों के रंगीन छापे) सुशोभित हैं। हिरण के समान छलांग भरने वाले बछड़े भी दिखाई पड़ते हैं। गायों के झुंड मे कुछ बैल भी हैं, जिनकी लंबी गर्दन व लंबे सींग हैं। गायों की रक्षा करने वाले ग्वाले या चरवाहे भी वहाँ हैं जो अपने हाथों मे बेंतकी छड़ी लिए हुए हैं। वो मनोरम दृश्य देखते ही बनता है। श्री राधा कृष्ण का दर्शन. गोलोक पर हज़ार दल वाला भव्य व दिव्य कमल सुशोभित है, ऐसा लगता है मानो वह कोई दिव्य ज्योतिर्पुंज हो। उसके ऊपर सोलह दल का कमल है व उसके भी ऊपर एक आठ दल का कमल सुशोभित है। उसके ऊपर चमचमाता हुआ दिव्य सिंहासन है। तीन सीढ़ियों वाला वह सिंहासन अनमोल व आलोकिक दिव्य रत्नों व मणियों से अलंकृत होता है। उसी पर श्री भगवान कृष्णचंद्र श्री राधिका जी के साथ विराजमान हैं। वे युगलरूप भगवान मोहिनी आदि आठ सखियों व श्रीदामा सहित आठ गोपालकों द्वारा सेवित हैं। उनके ऊपर हंस के समान सफ़ेद रंग के पंखे झले जा रहे हैं और हीरों से जड़ित चँवर डुलाए जा रहे हैं। भगवान की सेवा मे ऐसे करोड़ों छत्र प्रस्तुत हैं जो कोटी चंद्रमाओं के समान उज्ज्वल हैं। भगवान कृष्ण के वामभाग मे श्री राधिका जी से उनकी बायीं भुजा सुशोभित है। भगवान ने स्वेच्छा से अपने दायें पैर को टेढ़ा करके रखा है। वें हाथों मे बाँसुरी धारण किए हैं। उन्होने अपने मुस्कान भरे मुखमंडल व अपने दिव्य स्वरूप से अनेकों कामदेवों को मोहित कर रखा है। उन श्री हरि की मेघों के समान श्यामल कांति है। भगवान गले मे सुंदर वनमाला धारण किए हुए हैं। अति सुंदर मुस्कान मन को मोहित कर रही है। श्री वत्स का चिह्न बहुमूल्य रत्नो से बने हुए किरीट, कुंडल, बाजूबंद और हार यथास्थान भगवान की शोभा बढ़ा रहे हैं। वहाँ पहुँचकर सभी देवताओं ने उनके इस प्रकार दर्शन किए।
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क्रैंक (फ़िल्म). क्रैंक 2006 की अमेरिकी एक्शन फिल्म है, जिसे मार्क नेवेल्डिन और ब्रायन टेलर (उनके निर्देशकीय डेब्यू में) ने लिखा और निर्देशित किया है और इसमें जेसन स्टैथम, एमी स्मार्ट और जोस पाब्लो कैंटिलो ने अभिनय किया है। लॉस एंजिल्स में एक ब्रिटिश हिटमैन पर कथानक केंद्र का नाम चेव चेलियोस है जो जहर है और खुद को जीवित रखने के लिए अपने एड्रेनालाईन को लगातार बहते रहना चाहिए। वह ड्रग्स लेने और झगड़े में शामिल होने सहित विभिन्न तरीकों से ऐसा करता है, जबकि वह उस व्यक्ति को ट्रैक करने की कोशिश करता है जिसने उसे जहर दिया था। फिल्म का शीर्षक मैथम्फेटामाइन के लिए स्लैंग शब्द से आया है। 2009 में "क्रैंक: हाई वोल्टेज" नामक एक सीक्वल के बाद फिल्म का प्रदर्शन किया गया। संक्षेप. पेशेवर हत्यारे चेव को पता है कि उसके प्रतिद्वंद्वी ने उसे एक जहर के साथ इंजेक्ट किया है जो उसकी हृदय गति को गिरा देगा। उत्पादन. यह फिल्म 2003 में निकोलस केज के साथ मुख्य भूमिका को ध्यान में रखकर लिखी गई थी। 6फिल्म की शूटिंग लॉस एंजिल्स में लोकेशन पर की गई थी। सह-निर्देशक मार्क नेवेल्डिन और ब्रायन टेलर ने "ए" और "बी" दोनों कैमरों का संचालन किया, जहां एक को एक व्यापक शॉट मिलेगा और दूसरे को क्लोज-अप शॉट मिलेगा। जेसन स्टैथम ने अपनी लड़ाई और कार स्टंट सभी किए, जिसमें लॉस एंजिल्स के 3,000 फीट ऊपर एक हेलीकॉप्टर में वेरोना के साथ लड़ाई भी शामिल थी। संगीत. फिल्म के लिए साउंडट्रैक 22 अगस्त 2006 को जारी किया गया था। ऑलम्यूजिक ने पांच में से तीन एल्बम दिए, "क्या यहाँ है कल्पनाशील, रचनात्मक, और सिर-खरोंच शांत।" हालांकि यह वास्तव में जेफरसन स्टारशिप की धुन " मिरेकल्स " के साथ समाप्त होने के लिए एक बहुत ही कठिन और अधिक स्पष्ट बात है (क्यों न केवल अंत को समाप्त कर दिया जाए, हुह?), यह सेट बहुत अधिक उपलब्ध नहीं है। " विपणन. निर्देशक नेवेल्डिन और टेलर, अभिनेता स्टेथम और रामिरेज़ के साथ , कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में 2006 के कॉमिक-कॉन कन्वेंशन में दिखाई दिए। पैनल ने एक छोटी क्लिप दिखाई और फिल्म का प्रचार किया, जिसमें उल्लेख किया गया कि यह एचडी में शूट किया गया था और स्टंट दृश्यों के लिए कोई तार या सीजीआई का उपयोग नहीं किया गया था। फिल्म निर्माताओं ने फिल्म को बढ़ावा देने के लिए वेब विज्ञापन का व्यापक उपयोग किया। लायंसगेट ने YouTube के मुख पृष्ठ पर एक चित्रित स्थान खरीदा और अपने कई प्रसिद्ध सदस्यों को विज्ञापन देने के लिए भुगतान किया।   रिलीज़. बॉक्स ऑफिस. 1 सितंबर, 2006 को उत्तरी अमेरिका में 2,515 सिनेमाघरों में "क्रैंक" खोला गया। इसने अपने शुरुआती सप्ताहांत में $ 10,457,367 की कमाई की और "अजेय के" पीछे बॉक्स ऑफिस पर नंबर 2 पर रहा। फिल्म ने $ 12 मिलियन के उत्पादन बजट पर, $ 42,831,041 की कुल मिलाकर $ 27,838,408 घरेलू और $ 15,092,633 की कमाई की। अहमियतभरा जवाब. सड़े हुए टमाटर फिल्म को 61 में से 61% का स्कोर देते हैं, जिसकी औसत रेटिंग 10 में से 5.92 है, जो कि आलोचकों के 94 समीक्षाओं के आधार पर है। फिल्म के लिए वेबसाइट की "क्रिटिक्स सर्वसम्मति" में लिखा है, " "क्रैंक" ' हमला करने की शैली और उल्लासपूर्ण अवसाद, आकस्मिक एक्शन प्रशंसकों को बंद कर सकता है, लेकिन एड्रेनालाईन की एक मजबूत खुराक की मांग करने वाले दर्शकों को जेसनहम की मृत्यु के खिलाफ कर्कश दौड़ से रोमांचित होगा"। मेटाक्रिटिक पर फिल्म को 19 आलोचकों की समीक्षाओं के आधार पर 100 में से 57 का भारित औसत स्कोर मिला है, जो "मिश्रित या औसत समीक्षा" दर्शाता है। CinemaScore द्वारा सर्वेक्षण की गई ऑडियंस ने फिल्म को एक ग्रेड सी + दिया। लायंसगेट ने अपनी रिलीज़ के समय आलोचकों या प्रेस के लिए फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं करने का विकल्प चुना। कुछ फिल्म निर्माताओं और अभिनेताओं ने जेसन स्टेथम की पसंदीदा फिल्मों के रूप में "क्रैंक" (और इसके सीक्वल) को गाया, जिसमें सेठ रोजन, रूपर्ट ग्रिंट, साइमन पेग, जेम्स मैकएवॉय, एडगर राइट और गर्थ इवांस शामिल हैं । होम मीडिया. 26 दिसंबर 2006 को डीवीडी का रीजन 2 संस्करण जारी किया गया था, लेकिन शुरू में इसकी कोई खासियत नहीं थी। रीजन 1 डीवीडी को लायंसगेट ने 9 जनवरी, 2007 को जारी किया था। यह डीवीडी अलग वाइडस्क्रीन और फुलस्क्रीन संस्करणों में उपलब्ध है, प्रत्येक में डॉल्बी डिजिटल 5.1 और 2.0 ट्रैक हैं। बोनस सामग्री में रनिंग कास्ट और क्रू ऑडियो कमेंट्री, पीछे के दृश्य फुटेज, गैग्स, मैप्स, इनसाइट्स का मेक-अप और कलाकारों के साथ साक्षात्कार शामिल हैं। ये विशेषताएं "क्रैंकली आउट मोड" के माध्यम से सभी सुलभ हैं - एक पॉप-अप विंडो सुविधा जो एक्स्ट्रा कलाकार को कभी भी फिल्म छोड़ने के बिना एक्सेस करने की अनुमति देती है। डीवीडी में एक "परिवार के अनुकूल" ऑडियो प्रतिस्थापन भी शामिल है, जिसमें फिल्म को टीवी प्रसारण पर दिखाई देने के साथ-साथ डब किया जाता है। हालाँकि, हिंसा, भाषा उपशीर्षक और नग्नता अभी भी समान हैं। वीडियो गेम. एक J2ME गेम सिल्वरबर्ड स्टूडियो द्वारा विकसित किया गया था। सीक्वल. "क्रैंक: हाई वोल्टेज" 2009 "क्रैंक की" अगली कड़ी है। पहली फिल्म के छूटने के बाद यह कुछ सेकंड तक चलती है। ऐसा लगता है कि चेलियो के शरीर में जहर घुल गया है, लेकिन पहली किस्त की नौटंकी को बरकरार रखता है; उसके पास अब एक कृत्रिम दिल है जिसे जीवित रहने के लिए उसे बिजली से चार्ज रखना चाहिए।
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स्मिता माधव. स्मिता माधव कर्नाटक शास्त्रीय गायिका और भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं। कर्नाटक संगीत आमतौर पर भारत के दक्षिणी भाग से जुड़ा हुआ है और भारतीय शास्त्रीय संगीत के दो मुख्य वर्गीकरणों में से एक है (दूसरा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत है)। संगीत करियर. स्मिता को भरतनाट्यम में श्रुति लया केंद्र नटराजालय के निदेशक द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। इस संस्थान की स्थापना मृदंगम उस्ताद कराइकुडी मणि द्वारा की गई थी। उन्हें हैदराबाद सिस्टर्स के नाम से जानी जाने वाली ललिता और हरिप्रिया से कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में उन्नत प्रशिक्षण प्राप्त करना जारी है। स्मिता ने तेलुगु विश्वविद्यालय से संगीत और नृत्य में डिप्लोमा किया है। वह फिलहाल इंदिराकला संगीत विद्यालय से नृत्य में परास्नातक और मद्रास विश्वविद्यालय से संगीत में परास्नातक कर रहीं हैं। वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की एक प्रतिष्ठित कलाकार हैं।
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आनंदा शंकर जयंत. आनंदा शंकर जयंत भारतीय शास्त्रीय नर्तक, कोरियोग्राफर और विद्वान हैं जिन्हें भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी जैसे शास्त्रीय नृत्य रूपों में उनकी दक्षता के लिए जाना जाता है। वह दक्षिण मध्य रेलवे में भारतीय रेलवे यातायात सेवा में पहली महिला अधिकारी हैं। उनका 2009 का कैंसर पे दिया गया टेड विख्यान काफी प्रतिष्ठित है। वह संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, तमिलनाडु सरकार का कलाममानी पुरस्कार और आंध्र प्रदेश सरकार का कला रत्न पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। भारत सरकार ने उन्हें कला में उनके योगदान के लिए 2007 में पद्म श्री नागरिक सम्मान से सम्मानित किया। जीवनी. आनंदा शंकर तमिलनाडु के तिरूनेलवेली जिले के तमिल ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई। उनके पिता जी॰ एस॰ शंकर भारतीय रेलवे के अधिकारी थे और उनकी माता सुभाषिनी स्कूल शिक्षिका और संगीतकारा थीं। वह हैदराबाद में पली-बढ़ी, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिकंदराबाद के सेंट एन्स हाई स्कूल में की थी। उन्होंने 4 साल की उम्र में शारदा केशव राव और बाद में के॰ एन॰ पकीर्किस्वामी पिल्लई से शास्त्रीय नृत्य सीखना शुरू किया। 1972 में 11 साल की उम्र में, उन्होंने रुक्मिणी देवी अरुंडेल के संस्थान में प्रवेश लिया जहां उन्होंने पद्म बालगोपाल, शारदा हॉफमैन और कृष्णवेनी लक्ष्मण जैसे शिक्षकों के तहत भरतनाट्यम में प्रशिक्षण लिया। छह साल के अध्ययन के बाद उन्होंने भरतनाट्यम, कर्नाटक संगीत, वीणा, नृत्य सिद्धांत और दर्शन के विषयों में अपना डिप्लोमा और स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया। वह 17 साल की उम्र में हैदराबाद लौट आईं और शंकरानंद कलाक्षेत्र की स्थापना की। यह आठ छात्रों के साथ एक डांस स्कूल था जो तब से डांस एकेडमी बन गया है जिसमें पार्थ घोस, मृणालिनी चुंदुरी, शतीराजू वेणुमाधव और डोलन बनर्जी जैसे कलाकार शामिल हैं। हैदराबाद में, उन्होंने पसुमर्थी रामलिंग शास्त्री के तहत कुचिपुड़ी भी सीखा। समवर्ती रूप से, उन्होंने अपनी अकादमिक पढ़ाई पूरी की और उस्मानिया विश्वविद्यालय से भारतीय इतिहास और संस्कृति में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की। उन्होंने भारतीय रेलवे यातायात सेवा (आईआरटीएस) में शामिल होने के लिए सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की। इस प्रकार वह दक्षिण में इस सेवा की पहली महिला अधिकारी बन गईं। आईआरटीएस की सेवा करते हुए, उन्होंने पर्यटन में डॉक्टरेट की उपाधि (पीएचडी) और कला इतिहास में एमफिल करने के लिए अपनी पढ़ाई जारी रखी। उनकी थीसिस "प्रमोशन ऑफ़ टूरिज्म इन इण्डिया - रोल ऑफ़ रेलवेज" थी। जून 2008 में, अमेरिका में कुचिपुड़ी सम्मेलन से लौटने के बाद, उन्हें पता चला की उन्हें स्तन कैंसर है। जिसका बाद में इलाज किया गया। नवंबर 2009 में, उन्हें टेड पर अपने अनुभव साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया और उन्होंने अपने व्याख्यान में बीच-बीच में नृत्य किया। उन्होंने दो साल तक चले अपने कैंसर के दिनों के बाद अपना नृत्य करियर फिर से शुरू किया। आनंदा शकर की शादी जयंत द्वारकानाथ से हुई है और वह सिकंदराबाद के रेलवे सूचना प्रणाली केंद्र में एक अधिकारी के रूप में काम करती हैं। पुरस्कार. तमिलनाडु सरकार ने 2002 में आनंदा शंकर को कलाममानी पुरस्कार से सम्मानित किया। भारत सरकार ने उन्हें 2007 में पद्म श्री से सम्मानित किया। आंध्र प्रदेश सरकार ने उन्हें 2008 में कला रत्न सम्मान से सम्मानित किया। भरतनाट्यम में उनके योगदान के लिए उन्हें 2009 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला।
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स्टोलन. स्टोलन जिसे पूर्व में मेडेलियन के रूप में जाना जाता था, एक 2012 की अमेरिकी एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जो साइमन वेस्ट द्वारा निर्देशित है और इसमें निकोलस केज, डैनी हस्टन, मालिन ऑकर्मन, एमसी गेनी, सामी गेल, मार्क वैली और जोश लुकास ने अभिनय किया है। संक्षेप. एक पूर्व चोर अपनी लापता बेटी को खोजता है, जिसे एक टैक्सी के ट्रंक में अपहरण कर लिया गया है। उत्पादन. मार्च 2012 में न्यू ऑरलियन्स, लुइसियाना में फिल्मांकन शुरू हुआ। यह 14 सितंबर, 2012 को अमेरिकी सिनेमाघरों में और 22 मार्च 2013 को यूके में लायंसगेट द्वारा जारी किया गया था। रिसेप्शन. फिल्म को रॉटेन टमेटोज़ पर आलोचकों के बीच खराब समीक्षा मिली, जिसमें उन्नीस समीक्षाओं के आधार पर 16% "रॉटन" का स्कोर था। "चोरी" एक था बॉक्स ऑफिस बम संयुक्त राज्य अमेरिका में, छोटे से प्रचार प्राप्त करने और अपने उद्घाटन सप्ताहांत पर 141 स्क्रीनों में सिर्फ $ 183,125 की कमाई की। फिल्म को दो सप्ताह के बाद सिनेमाघरों से खींच लिया गया, जिससे कुल $ 304,318 की कमाई हुई। फिल्म ने दुनिया भर में $ 17,967,746 की कमाई की।
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उमलिंगका. उमलिंगका ("Umlingka") के पूर्वी राज्य मेघालय के खासी हिल्स जिले में मायलीम ब्लॉक में एक गाँव है। यह जिला मुख्यालय शिलांग से पश्चिम की ओर ६ किमी दूर स्थित है। यह मायलीम से ५ कि.मी. दूर है। उमलिंग्का का पिन कोड ७९३००५ है और डाक प्रधान कार्यालय अपर शिलांग है। निकटवर्ती. इसके निकटवर्ती ग्राम हैं ८वें माइल (१ किमी), उमलिंग्का (१ किमी), नोंगपाथव (१ किमी), नोंगुलोंग (२ किमी), नोंग केशे रिम (२ किमी)। उमलिंग्का शिलॉन्ग ब्लॉक से पूर्व की ओर, माव्रींग्कनेंग ब्लॉक से पूर्व की ओर, मावफलांग ब्लॉक से दक्षिण की ओर, खड़शेनोंग-लिट्रोख ब्लॉक से दक्षिण की ओर घिरा हुआ है। शिलॉन्ग, जोवाई, नोंगस्टोइन, दिसपुर, इसके निकटवर्त्ती शहर हैं। जनसांख्यिकी. उमलिंग्का जनगणना  की जनसंख्या 7,381 है, जिसमें 3,600 पुरुष हैं, जबकि 3,781 महिलाएं हैं, जो कि २०११ भारतीय जनगणना द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार हैं। 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों की जनसंख्या 1310 है जो कि उमलिंग्का (सीटी) की कुल जनसंख्या का 17.75% है। उमलिंग्का जनगणना टाउन में, महिला लिंग अनुपात 989 के राज्य औसत के मुकाबले 1050 का है। इसके अलावा उम्म्लंगेका में बाल लिंग अनुपात 970 के मेघालय राज्य औसत की तुलना में 976 के आसपास है। उमींगका शहर की साक्षरता दर 74.43% के राज्य औसत से 83.20% अधिक है। उमलिंग्का में पुरुष साक्षरता लगभग 83.55% है जबकि महिला साक्षरता दर 82.87% है। उमलिंग्का सेंसस टाउन में 1,450 से अधिक घरों के लिए कुल प्रशासन है, जो पानी और सीवरेज जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति करता है। यह जनगणना टाउन सीमा के भीतर सड़कों का निर्माण करने और इसके अधिकार क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों पर कर लगाने के लिए भी अधिकृत है।
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उम्प्लिंग. उम्प्लिंग ("Lawsohtun") भारत के मेघालय राज्य के पूर्व खासी हिल्स ज़िले में स्थित एक इलाका है। उमलिंग पिन कोड 793006 है और डाक प्रधान कार्यालय रिन्जाह है। रिन्जा, पोह्क्से, नोंग्रिम्बा, मावश्बुइत, इत्शिर्वात उम्प्लिंग आसपास के इलाके हैं। शिलांग, जोवाई, नोंगस्टोइन, दिसपुर शिलांग के निकटवर्त्ती ्शहर हैं। अंग्रेजी यहां की स्थानीय भाषा है। जनसांख्यिकी. उमलिंग सेंसस टाउन की जनसंख्या 8,529 है, जिनमें 4,302 पुरुष हैं जबकि 4,227 महिलाएं हैं जो कि जनगणना इंडिया 2011 द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार हैं। 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों की जनसंख्या 1147 है, जो कि उम्मलिंग (सीटी) की कुल जनसंख्या का 13.45% है। उमलिंग सेंसस टाउन में, महिला लिंग अनुपात 989 के राज्य औसत के मुकाबले 983 का है। इसके अलावा, उमलिंग में बाल लिंगानुपात 970 के मेघालय राज्य की तुलना में 938 के आसपास है। उमंग शहर की साक्षरता दर 74.43% के राज्य औसत से 91.72% अधिक है। उमलिंग में, पुरुष साक्षरता लगभग 93.58% है जबकि महिला साक्षरता दर 89.84% है। उमलिंग सेंसस टाउन में 1,814 घरों पर कुल प्रशासन है, जो पानी और सीवरेज जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति करता है। यह जनगणना टाउन सीमा के भीतर सड़कों का निर्माण करने और इसके अधिकार क्षेत्र में आने वाली संपत्तियों पर कर लगाने के लिए भी अधिकृत है।
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माया राव. माया राव (2 मई 1928 - 1 सितंबर 2014) कथक नृत्य में भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना, कोरियोग्राफर और शिक्षिका थीं। वह कथक कोरियोग्राफी में अपने अग्रणी काम के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने 1987 में मल्लेश्वरम, बैंगलोर में अपना डांस स्कूल, नाट्य इंस्टीट्यूट ऑफ कथक और कोरियोग्राफी (NIKC) खोला। इसलिए उन्हें उत्तर भारतीय-नृत्य शैली कथक को दक्षिण भारत में लाने का श्रेय दिया जाता है। वह अपनी डांस कंपनी, "नाट्य और स्टेम डांस कम्पनी" की संस्थापक भी थीं। जयपुर घराने के गुरु सोहनलाल के तहत अपने शुरुआती प्रशिक्षण के बाद उन्होंने जयपुर घराने के ही गुरु सुंदर प्रसाद का अनुसरण किया। बाद में उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय संस्थान कथक नृत्य में लखनऊ घराने के गुरु शंभू महाराज के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1989 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। 2011 में, अकादमी ने उन्हें भारत भर के 100 कलाकारों को दिए गए संगीत नाटक टैगोर रत्न से सम्मानित किया। यह पुरस्कार रवींद्रनाथ टैगोर की 150 वीं जयंती पर उनके प्रदर्शन कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए दिया गया। प्रारंभिक जीवन. उनका जन्म मल्लेश्वरम, बैंगलोर में रूढ़िवादी कोंकणी सारस्वत ब्राह्मण परिवार में शहर के प्रसिद्ध वास्तुकार हट्टंगड़ी संजीव राव और सुभद्रा बाई के घर में हुआ था। उनके तीन भाई और तीन बहनें थीं। कम उम्र में ही उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और वाद्य यंत्र दिलरुबा सीखा। वह रूढ़िवादी परिवार से थीं जहाँ लड़कियों का नृत्य सीखना वर्जित माना जाता है। हालाँकि यह तब बदल गया जब 12 साल की उम्र में उनके वास्तुकार पिता ने बैंगलोर में BRV टॉकीज़ सभागार में नर्तक उदय शंकर की मंडली का प्रदर्शन देखा। प्रदर्शन से प्रेरित होकर उनके पिता चाहते थे कि उनकी बेटियां नृत्य सीखें। उनके गुरु पंडित रामाराव नाइक, उस्ताद फैयाज खान के शिष्य और आगरा घराने के गायक थे। उन्होंने बेंसन टाउन, बैंगलोर में संगीत और नृत्य विद्यालय चलाया जहाँ विभिन्न नृत्य और संगीत शैलियों को सिखाया जाता था। यहां जयपुर घराने के सोहन लाल कथक अनुभाग के प्रभारी थे। जल्द ही, उनकी छोटी बहनें, उमा और चित्रा ने छह साल और चार साल की उम्र में, गुरु सोहनलाल के अधीन कथक सीखना शुरू कर दिया। जबकि बारह साल की उम्र में उन्हें कथक सीखने के लिए बहुत उम्रदराज माना जाता था। अंत में, उनके पिता ने उन्हें 1942 में कथक प्रशिक्षण शुरू करने की अनुमति दी। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद 1945 में सेंट्रल कॉलेज, बैंगलोर में अंग्रेजी साहित्य में बी.ए. किया। बाद में उन्होंने बैंगलोर में महारानी कॉलेज में अध्ययन किया। यहाँ, उन्होंने नृत्य करने के लिए एक क्लब का गठन किया और नृत्य-नाटक प्रस्तुत किए। इस बीच, उनके पिता की मृत्यु 1946 में हुई। उनके परिवार के घर को एक साल के भीतर नीलाम कर दिया गया और परिवार एक कमरे वाले घर में चला गया। जल्द ही उन्होंने अपने भाई मनोहर के साथ घर का कामकाज संभाला और अपने परिवार को सहारा देने के लिए 17 साल की उम्र में नृत्य सिखाना शुरू कर दिया। करियर. वह 1951 में कथक की तलाश में जयपुर चली गईं। उन्होंने अगले दो वर्षों के लिए महारानी गायत्री देवी गर्ल्स पब्लिक स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाना शुरू कर दिया। इसके बाद वह श्रीलंका चली गईं और उन्होंने प्रसिद्ध नृत्यांगना, चित्रसेना के साथ कैंडियन नृत्य का अध्ययन किया। इसके बाद, 1955 में उन्होंने भारत सरकार की छात्रवृत्ति प्राप्त की और नई दिल्ली के भारतीय कला केंद्र में लखनऊ घराने के प्रख्यात गुरु शंभू महाराज के अधीन प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1960 में, उन्हें कोरियोग्राफी में यूएसएसआर कल्चरल स्कॉलरशिप के लिए कोरियोग्राफी में मास्टर की पढ़ाई के लिए चुना गया था। 1964 में रूस से लौटने पर, संगीत नाटक अकादमी के तत्कालीन उपाध्यक्ष कमलादेवी चट्टोपाध्याय की मदद से उन्होंने भारतीय नाट्य संघ के तत्वावधान में दिल्ली में नाट्य इंस्टिट्यूट ऑफ़ कोरियोग्राफी शुरू किया। तत्पश्चात वह तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगडे के निमंत्रण पर NIKC को बैंगलोर स्थानांतरित करने से पहले कई वर्षों तक दिल्ली में रहीं। इन वर्षों में, उन्होंने 3,000 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है जिनमें विशेष रूप से, निरुपमा राजेन्द्र, सैयद सल्लउद्दीन पाशा, सत्य नारायण चक्का, शंभू हेगड़े, शिवानंद हेगड़े का नाम उल्लेखनीय हैं। उनकी बेटी मधु नटराज प्रशंसित नर्तक और कोरियोग्राफर है। 1 सितंबर 2014 की मध्यरात्रि के तुरंत बाद उनकी हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गई।
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किरण सेठी. किरण सेठी दिल्ली कि एक जानीमानी पुलिस अधिकारी हैं। उन्हे पूरे भारत में महिलाओं की आत्मरक्षा और पुलिस सेवा प्रशिक्षण शिविरों के आयोजन के लिए जाना जाता है, जिसके लिए उन्हें 2015 में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा सम्मानित किया गया था। जीवनी. किरण सेठी का जन्म दिल्ली में हुआ था। उन्होंने 1987 में पुलिस में भर्ती होने से पहले भारतीय जनसंचार संस्थान में पत्रकारिता का अध्ययन किया। वह सहायक पुलिस उप-निरीक्षक (ASI) का पद संभालती, और अक्सर यौन शोषण और बाल यौन शोषण के मामलों की जांच करती हैं। वह आत्मरक्षा पाठ्यक्रम 'प्रहार' में एक मुख्य प्रशिक्षक हैं, उन्होंने 2015 तक 5000 से अधिक स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रशिक्षित किया था। उन्होंने 200 से अधिक बहरे और दृष्टि बाधित छात्रों को आत्मरक्षा में प्रशिक्षित किया है। स्कूली छात्रों द्वारा आत्म-रक्षा का सबसे बड़ा प्रदर्शन आयोजित करने के परिणामस्वरूप उनका नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज किया गया। 2014 में, काम पर ना होने के दौरान भी, सेठी ने एक नेत्रहीन लड़की को एक शराबी व्यक्ति द्वारा अपहरण और हमला करने से बचाया।
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इब्राहिमपट्टी. इब्राहिमपट्टी (Ibrahimpatti) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बलिया ज़िले में स्थित एक गाँव है। विवरण. यह बलिया से दूर स्थित है। भारत के एक पूर्व प्रधान मंत्री, चन्द्रशेखर, इब्राहिमपट्टी के मूल निवासी थे। निकटतम रेलवे स्टेशन किरिहरापुर है।
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बॉडी ऑफ़ लाइज़. बॉडी ऑफ़ लाइज़ 2008 की एक अमेरिकन एक्शन थ्रिलर फिल्म है जिसका निर्देशन और निर्माण रिडले स्कॉट ने किया है और विलियम मोनाहन ने लिखा है। इसमें लियोनार्डो डिकैप्रियो, रसेल क्रो और मार्क स्ट्रॉन्ग प्रमुख भूमिका में हैं। मध्य पूर्व में स्थापित, यह सीआईए और जॉर्डन के खुफिया के प्रयासों का अनुसरण करता है ताकि आतंकवादी "अल-सलीम" को पकड़ा जा सके। उनके लक्ष्य की माया से निराश, उनके दृष्टिकोणों में अंतर सीआईए ऑपरेटिव, उनके श्रेष्ठ और जॉर्डन के खुफिया के प्रमुख के बीच संबंधों में तनाव है। डेविड इग्नाटियस द्वारा एक ही नाम के उपन्यास पर आधारित पटकथा, पश्चिमी और अरब समाजों के बीच समकालीन तनाव और तकनीकी और मानव प्रति-बौद्धिक तरीकों की तुलनात्मक प्रभावशीलता की जांच करती है। फिल्म की शूटिंग मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और मोरक्को में स्थान पर की गई थी, दुबई में अधिकारियों ने स्क्रिप्ट के राजनीतिक विषयों के कारण वहां फिल्म की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। स्कॉट की दिशा और दृश्य शैली की आलोचकों द्वारा प्रशंसा की गई थी, लेकिन उन्होंने जासूस शैली से कहानी की परंपराओं के उपयोग और उच्च ऊंचाई वाले जासूसी विमानों से निगरानी शॉट्स जैसे उनके उपयोग की आलोचना की। यह फिल्म संयुक्त राज्य अमेरिका में 10 अक्टूबर 2008 को रिलीज हुई थी। संक्षेप. जॉर्डन में जमीन पर एक सीआईए एजेंट अपने अमेरिकी पर्यवेक्षकों और जॉर्डन इंटेलिजेंस के अस्पष्ट इरादों के बीच पकड़े जाने के दौरान एक शक्तिशाली आतंकवादी नेता का शिकार करता है। कास्ट. कैसर वैन हाउटन को रोजर की पत्नी ग्रेटेन फेरिस के रूप में लिया गया था, लेकिन उनके सभी दृश्यों को हटा दिया गया था और वह अंतिम कट में नहीं दिखीं। विषय-वस्तु. रिडले स्कॉट ने क्रॉस्टेड के दौरान सेट की गई पश्चिमी और अरब सभ्यताओं के "साम्राज्य", "किंगडम ऑफ़ हेवन" (2005) के बीच संघर्ष के बारे में एक पिछली फिल्म बनाई है। "बॉडी ऑफ लाइज़" आधुनिक खुफिया संचालन और आतंकवाद के संदर्भ में इस विषय को फिर से शुरू करता है। फिल्म एक ही तरफ दो विपरीत चरित्र डालती है। जमीन पर सीआईए का आदमी फेरिस, भाषा में एक समर्पित अरबवादी धाराप्रवाह है; वह विश्वास, स्थानीय ज्ञान और HUMINT पर निर्भर है। हॉफमैन, उनके श्रेष्ठ, जिन्हें वाशिंगटन, डीसी और वर्जीनिया में सीआईए में घर पर रखा गया है, अधिक मैकियावेलियन है: वह धोखा, डबल-क्रॉसिंग, और टेलीफोन द्वारा और बिना जांच के हिंसा को अधिकृत करता है। "न्यू यॉर्कर" ने उन्हें "एक लालची, अमेरिकी घरेलू जानवर- एक उन्नत-मीडिया सनकी, हमेशा खाने" के रूप में व्याख्या की। फिल्म की शुरुआत में, हॉफमैन अपने वरिष्ठों को समझाता है कि आतंकवादियों के पूर्व-तकनीकी युग के तरीकों से पीछे हटने से सीआईए द्वारा उपयोग किए जाने वाले उच्च विनिर्देशन उपकरण बेकार हो जाते हैं, जिससे फेरिस के मानव खुफिया तरीकों का मूल्य बढ़ जाता है। आतंकवादी मोबाइल टेलीफोन और कंप्यूटर से बचते हैं, आमने-सामने संचार को प्राथमिकता देते हैं और लिखित संदेशों को इनकोड करते हैं। इसके विपरीत, अमेरिकी परिष्कृत संचार का उपयोग करते हैं (हॉफमैन और फेरिस नियमित रूप से फोन पर बात करते हैं) और निगरानी (उच्च ऊंचाई वाले जासूसी विमान पूरी तकनीक में एक अलग दृष्टिकोण प्रदान करते हैं)। "द न्यू यॉर्कर के" डेविड डेन्बी ने कहा कि यह स्कॉट का सुझाव था कि सीआईए के पास मध्य पूर्व में आतंकवाद का ठीक से मुकाबला करने के लिए मानव बुद्धि नहीं बल्कि तकनीक है। हॉफमैन की दूरी के बावजूद, उनकी योजनाओं के बल और अनपेक्षित परिणाम अक्सर फेरिस द्वारा वहन किए जाते हैं। यह अंतर तब रेखांकित किया गया जब फेरिस ने कमजोर विश्वसनीयता, घायल सहयोगियों और व्यक्तिगत जोखिम को झेलते हुए हॉफमैन को याद दिलाया कि "हम एक परिणाम-संचालित संगठन हैं"। उत्पादन. विकास. मार्च 2006 में, वार्नर ब्रदर्स ने डेविड इग्नाटियस द्वारा उपन्यास "पेनेट्रेशन" को एक फीचर फिल्म में रूपांतरित करने के लिए पटकथा लेखक विलियम मोनाहन को काम पर रखा, जिसे रिडले स्कॉट द्वारा निर्देशित किया जाएगा। अप्रैल 2007 में, उपन्यास का शीर्षक "बॉडी ऑफ लाइज के साथ था" और फिल्म को इसी तरह फिर से शीर्षक दिया गया, अभिनेता लियोनार्डो डिकैप्रियो को मुख्य भूमिका में लिया गया। डिकैप्रियो ने इस भूमिका को आगे बढ़ाने के लिए चुना क्योंकि उन्होंने इसे 1970 के दशक में "द पारलेक्स व्यू" (1974) और "थ्री डेज़ ऑफ द कंडक्टर" (1975) जैसी राजनीतिक फिल्मों में वापसी माना। डिकैप्रियो ने अपने बालों को भूरे रंग में रंगा, और भूमिका के लिए भूरे रंग के संपर्क पहने। डिकैप्रियो को कास्ट करने के बाद, रसेल क्रो को सहायक भूमिका के लिए चुना गया था, जिसके बाद उन्होंने औपचारिक रूप से मोना की पटकथा को स्टीव ज़िलियन द्वारा संशोधित किया, जिन्होंने स्कॉट और क्रो के "अमेरिकी गैंगस्टर" लिखा था। क्रो ने अपनी भूमिका के अनुरूप 63 पाउंड प्राप्त किए। अभिनेता ने फिल्म की अमेरिकी सरकार और विदेश नीति की खोज के परिणामस्वरूप कहा, "मुझे नहीं लगता कि यह बहुत लोकप्रिय होगा, लेकिन यह कभी भी मेरी परियोजना पसंद प्रक्रिया का हिस्सा नहीं रहा है।" मार्क स्ट्रॉन्ग, जो जॉर्डन के जनरल इंटेलिजेंस डायरेक्टोरेट (GID) के प्रमुख हानी सलाम की भूमिका निभा रहे हैं, ने 2005 की फिल्मों "सीरियाना" और "ओलिवर ट्विस्ट" में अपने अभिनय के लिए अपनी कास्टिंग की। चरित्र हानी सलाम को 2000-2005 के GID प्रमुख साद खेहर (1953-2009) के बाद मॉडलिंग किया गया था, जिनकी भागीदारी, मूल लेखक डेविड इग्नाटियस के अनुसार, अत्याचार के उपयोग के बिना गहन पूछताछ में, अपनी माँ के साथ एक जिहादी के साथ हुई मुठभेड़। फोन पर और 'नखराली बॉस' कहे जाने वाले फिल्म में सटीक रूप से चित्रित किए गए थे। स्थान और डिज़ाइन. स्कॉट ने संयुक्त अरब अमीरात में दुबई में फिल्म करने की मांग की, लेकिन महासंघ के राष्ट्रीय मीडिया परिषद ने स्क्रिप्ट की राजनीतिक संवेदनशील प्रकृति के कारण निर्देशक की अनुमति से इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप, जॉर्डन में स्थापित दृश्यों को मोरक्को में फिल्माया गया था । यह शूटिंग सितंबर से दिसंबर 2007 तक पैंसठ दिनों से अधिक समय तक चली। यह संयुक्त राज्य अमेरिका और मोरक्को में फिल्माया गया था, जहां दस अलग-अलग देशों में सेट दृश्य फिल्माए गए थे। 5 सितंबर, 2007 को ईस्टर्न मार्केट, वाशिंगटन, डीसी में फिल्मांकन शुरू हुआ प्रैक्टिकल स्थानों का उपयोग पूरे भर में किया गया; कैपिटल हिल पड़ोस का एक हिस्सा एक दस-पंद्रह-सेकंड के कार बम विस्फोट के लिए फिल्म बनाने के लिए एक विंट्री एम्स्टर्डम से मिलता-जुलता था। लैंगले, वर्जीनिया में सीआईए मुख्यालय में सेट दृश्य को गेथर्सबर्ग, मैरीलैंड में "नेशनल जियोग्राफिक" कार्यालयों में फिल्माया गया; दोनों इमारतों को वुडलैंड में स्थापित किया गया था और "यह स्थापत्य शैली के मामले में समान था ...", आर्थर मैक्स, उत्पादन डिजाइनर ने कहा, "हमें कई खाली फर्श दिए गए थे।" बाल्टीमोर में स्थान मैनचेस्टर, इंग्लैंड और म्यूनिख, जर्मनी के लिए भी खड़े थे, हालांकि फिल्म के अंतिम कट में म्यूनिख में कोई दृश्य नहीं था। उत्पादन मोरक्को चला गया, जहां स्कॉट, मैक्स और अलेक्जेंडर विट, सिनेमैटोग्राफर ने पहले कई बार फिल्माया था। उनके पिछले अनुभव का मतलब था कि वे "रेगिस्तान में हर पत्थर को जानते हैं" और उन्हें कई स्थानों तक पहुंच की अनुमति दी गई थी, जिसमें वित्त मंत्रालय भी शामिल था, जिसे जॉर्डन के गुप्त सेवा मुख्यालय, कैसाब्लांका हवाई अड्डे और एक सैन्य हवाई क्षेत्र के रूप में तैयार किया गया था। रबात में बास्केटबॉल स्टेडियम को जॉर्डन में अमेरिकी दूतावास के रूप में इस्तेमाल किया गया था: स्टेडियम के अंदर एक सीआईए कार्यालय सेट बनाया गया था, जो कि पसंदीदा था क्योंकि इसके डिजाइन ने कैमरों को आंतरिक और बाहरी दोनों प्रकार के शूट करने की अनुमति दी थी, इस प्रकार पात्रों को लोगों और टैंक से गुजरते हुए दिखाया गया था सड़कों में। नौ सप्ताह की शूटिंग सीएलए स्टूडियोज और ऑउरज़ाज़ेट शहर के आसपास के रेगिस्तान में भी हुई। संगीत. फिल्म स्कोर मार्क स्ट्रेटेनफेल्ड द्वारा रचा गया था, जिसने अब तीन विशेषताओं के लिए रिडले स्कॉट के लिए संगीत तैयार किया है। उन्होंने वार्नर ब्रदर्स स्टूडियो में ईस्टवुड स्कोरिंग स्टेज में अपने स्कोर के ऑर्केस्ट्रा भाग को रिकॉर्ड किया। नोट ऑफ गन्स में फिल्म "इफ द वर्ल्ड" में एक गीत की उपस्थिति है, जो गन्स एन 'रोजेज द्वारा किया गया है, और उनके लंबे समय से विलंबित "चीनी डेमोक्रेसी" एल्बम से लिया गया है। ट्रैक अंत क्रेडिट की शुरुआत में खेलता है, लेकिन आधिकारिक फिल्म साउंडट्रैक में शामिल नहीं है। स्ट्रेइटेनफेल्ड ने "बर्ड्स आई" गीत पर माइक पैटन और सर्ज टैंकीयन के साथ सहयोग किया, जो विशेष रूप से फिल्म के संगीत स्कोर के लिए लिखा गया था। इसे साउंडट्रैक एल्बम में शामिल नहीं किया गया था, लेकिन एकल के रूप में अलग से जारी किया गया था। रिलीज़. यह फिल्म संयुक्त राज्य अमेरिका में 10 अक्टूबर 2008 को व्यावसायिक रूप से रिलीज़ हुई थी। टेलीविजन नेटवर्क TBS और टर्नर नेटवर्क टेलीविजन पर स्क्रीन करने के लिए फिल्म को टर्नर ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम द्वारा भी खरीदा गया है। फिल्म को 30 सितंबर, 2008 को मिशिगन टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, और 2 अक्टूबर, 2008 को ड्यूक यूनिवर्सिटी, न्यूयॉर्क फिल्म अकादमी, यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड और यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जीनिया में प्रदर्शित किया गया था। इसे 3 अक्टूबर को वॉर्सेस्टर पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी, मिशिगन विश्वविद्यालय में, यूनिवर्सिटी ऑफ कैनसस, ईस्ट कैरोलिना यूनिवर्सिटी और शिकागो विश्वविद्यालय में 7 अक्टूबर को और कार्नेगी मेल्विन यूनिवर्सिटी, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में प्री-स्क्रीन किया गया था।, Rensselaer पॉलिटेक्निक संस्थान, बफ़ेलो विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय, जेम्स मैडिसन विश्वविद्यालय, सिरैक्यूज़ विश्वविद्यालय, कोलोराडो विश्वविद्यालय, वाशिंगटन विश्वविद्यालय, और जॉर्जिया दक्षिणी विश्वविद्यालय 9 अक्टूबर को। वार्नर होम वीडियो ने 17 फरवरी, 2009 को डीवीडी पर "बॉडी ऑफ लाइज़" जारी किया। एकल-डिस्क क्षेत्र एक रिलीज में अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनिश में सराउंड साउंड और उपशीर्षक शामिल थे; दो-डिस्क विशेष संस्करण में निर्देशक, पटकथा लेखक और मूल उपन्यास लेखक द्वारा टिप्पणियां, और पर्दे के वृत्तचित्र के पीछे शामिल थे; ब्लू-रे संस्करण में फिल्म के विषयों पर अतिरिक्त टिप्पणी भी शामिल थी।
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अस्पताल जहाज. एक अस्पताल जहाज एक अस्थायी चिकित्सा उपचार सुविधा या अस्पताल के रूप में प्राथमिक कार्य के लिए नामित एक जहाज है । यह अधिकांश विभिन्न देशों के सैन्य बलों (ज्यादातर नौसेनाओं ) द्वारा संचालित होते हैं, क्योंकि उनका इरादा युद्ध क्षेत्रों में या उसके निकट उपयोग करने का होता है। उन्नीसवीं शताब्दी में निरर्थक युद्धपोतों को नाविकों के लिए मूर्ड अस्पतालों के रूप में इस्तेमाल किया गया था। द्वितीय जिनेवा कन्वेंशन अस्पताल के जहाजों पर सैन्य हमलों को प्रतिबंधित करता है, हालांकि जुझारू बलों के पास निरीक्षण के अधिकार हैं और वे घायल दुश्मन रोगियों को युद्ध बंदी के रूप में ले सकते हैं। इतिहास. अस्पताल के जहाज संभवतः प्राचीन काल से मौजूद है। एथेनियन नेवी में "थेरेपिया" नाम का एक जहाज था, और रोमन नेवी के पास "अस्कुलेपियस" नाम का एक जहाज था, उनके नाम से संकेत मिलता है कि वे अस्पताल के जहाज रहे होंगे। सबसे पहला ब्रिटिश अस्पताल जहाज "गुडविल" हो सकता है, जो 1608 में भूमध्यसागर में एक रॉयल नेवी स्क्वाड्रन के साथ था और अन्य जहाजों से भेजे गए बीमार लोगों को घर पर रखने के लिए इस्तेमाल किया गया था। हालांकि चिकित्सा देखभाल में यह प्रयोग अल्पकालिक था, जिसके साथ "सद्भावना" को एक वर्ष के भीतर अन्य कार्यों के लिए सौंपा गया था और उसके पास केवल पोर्टल्स को पीछे छोड़ दिया गया था। यह सत्रहवीं शताब्दी के मध्य तक नहीं था कि किसी भी रॉयल नेवी जहाजों को औपचारिक रूप से अस्पताल के जहाजों के रूप में नामित किया गया था, और फिर पूरे बेड़े में केवल दो ऐसे जहाज थे। इन्हें या तो मर्चेंट शिप या बुजुर्गों को छठी दर पर किराए पर लिया गया था, जिसमें आंतरिक बल्कहेड को अधिक कमरे बनाने के लिए हटा दिया गया था, और आंतरिक वेंटिलेशन को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बंदरगाहों को डेक और पतवार के माध्यम से काट दिया गया था। अपने चालक दल के अलावा, इन सत्रहवीं शताब्दी के अस्पताल जहाजों में एक सर्जन और चार सर्जन के सहायक को नियुक्त किया गया था। चिकित्सा आपूर्ति का मानक मुद्दा पट्टियाँ, साबुन, सूई और बेडपैन थे । मरीजों को आराम करने के लिए एक बिस्तर या गलीचा, और एक साफ जोड़ी चादर की दी गईं। ये शुरुआती अस्पताल जहाज घायलों के बजाय बीमारों की देखभाल के लिए थे, रोगियों को उनके लक्षणों के अनुसार और संक्रामक मामलों को कैनवस की शीट के पीछे सामान्य आबादी से अलग किए गए। भोजन की गुणवत्ता बहुत खराब थी। 1690 के दशक में "सियाम" के सर्जन ने शिकायत की कि मांस सड़ा हुआ था, बिस्कुट में घुन लगा हुआ और कड़वा था, और रोटी इतनी सख्त थी कि उससे मरीजों के मुंह से त्वचा अलग हो जाती थी। ज़मीन पर लड़ रहे घायल सैनिकों के इलाज के लिए अस्पताल के जहाजों का भी इस्तेमाल किया गया। इसका एक प्रारंभिक उदाहरण 1683 में इंग्लिश टैंगियर को खाली करने के लिए एक अंग्रेजी ऑपरेशन के दौरान हुआ था। इस निकासी का एक लेखा, एक प्रत्यक्षदर्शी सैमुएल पेप्सिस द्वारा लिखा गया था। मुख्य चिंताओं में से एक था बीमार सैनिकों की निकासी "और कई परिवारों और उनके प्रभावों को बंद किया जाना था"। अस्पताल के जहाज "यूनिटी" और "वेलकम" ने इंग्लैंड के लिए 18 अक्टूबर 1683 को 114 अमान्य सैनिकों और 104 महिलाओं और बच्चों के साथ रवाना हुआ, जो 14 दिसंबर 1683 को डाउन पहुंचा था। रॉयल नेवी अस्पताल के जहाजों पर सवार चिकित्सा कर्मियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ाई गई थी, 1703 में जारी किए गए नियमों के अनुसार, प्रत्येक पोत को सर्जिकल असिस्टेंट और चार वॉशरोमेन काम करने के लिए छह भूस्वामियों की आवश्यकता होती थी। 1705 के संशोधन में अतिरिक्त पांच पुरुष नर्सों को प्रदान किया गया था, और उस समय के अपेक्षित सुझाव देते हैं कि प्रति मरीज चादरें की संख्या एक से दो जोड़े तक बढ़ाई गई थी। 8 दिसंबर 1798 को, एक युद्धपोत के रूप में सेवा के लिए अयोग्य, HMS " जीत" को घायल फ्रांसीसी और युद्ध के स्पेनिश कैदियों को पकड़ने के लिए एक अस्पताल जहाज में परिवर्तित करने का आदेश दिया गया था। 1798 में एडवर्ड होस्टेड के अनुसार, दो बड़े अस्पताल के जहाजों (जिसे लाज़रेटोस भी कहा जाता है), (जो कि चालीस-चालीस बंदूक जहाजों के बचे हुए पतवार थे) को केंट के हैल्स्टो क्रीक में मूर किया गया था । क्रीक नदी मेडवे और टेम्स नदी से एक इनलेट है। इन जहाजों के चालक दल ने इंग्लैंड आने वाले जहाजों को देखा, जिन्हें देश को प्लेग सहित संक्रामक रोगों से बचाने के लिए संगरोध के तहत क्रीक में रहने के लिए मजबूर किया गया। 1821 से 1870 तक नाविक के अस्पताल सोसायटी प्रदान की एचएमएस ग्रेम्पस, एचएमएस ड्रेडनॉट और एचएमएस "कैलेडोनिया" लगातार अस्पताल में बंधा हुआ जहाजों के रूप में (बाद "ड्रेडनॉट)" डेपटफॉरड लंदन में। 1866 में एचएमएस हमादरीड को कार्डिफ में एक सीमेन अस्पताल के रूप में मौर किया गया था, जिसे 1905 में रॉयल हमाद्रीड सीमेन अस्पताल द्वारा बदल दिया गया था। अन्य निरर्थक युद्धपोतों को युद्ध के दोषियों और कैदियों के लिए अस्पतालों के रूप में इस्तेमाल किया गया था। आधुनिक अस्पताल के जहाज. शाही नौसेना द्वारा अस्पताल के जहाजों के उपयोग का संस्थागतकरण उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान हुआ। स्वास्थ्य सैनिकों के लिए समय पर उपलब्ध चिकित्सा प्रावधान के मानक से, अस्पताल के जहाजों आम तौर पर सेवा और स्वच्छता के अपने मानक में बेहतर थे । यह 1850 के दशक में क्रीमियन युद्ध के दौरान था कि आधुनिक अस्पताल जहाज उभरने लगे ।  क्रिमियन प्रायद्वीप पर लड़ रही ब्रिटिश सेनाओं के लिए उपलब्ध एकमात्र सैन्य अस्पताल डार्डानेल्स के पास स्कूटरी में था ।  सेवस्तोपोल की घेराबंदी के दौरान, लगभग 15,000 घायल सैनिकों को अस्पताल के परिवर्तित जहाजों की एक स्क्वाड्रन द्वारा बालाक्लाव में बंदरगाह से वहां ले जाया गया था। वास्तविक चिकित्सा सुविधाओं से लैस होने वाले पहले जहाज स्टीमरशिप hms  "मेलबर्न" और एचएमएस "मॉरीशस" थे। इन अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ कोर की चौकीदारी की गई थी और 1860 में चीन में ब्रिटिश अभियान को सेवाएं प्रदान की थीं। जहाजों रोगियों के लिए अपेक्षाकृत विशाल आवास प्रदान की है और एक ऑपरेटिंग थिएटर से सुसज्जित थे । एक अस्पताल जहाज का एक और प्रारंभिक उदाहरण 1860 के दशक में यूएसएस " रेड रोवर" था, जिसने अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान दोनों पक्षों के घायल सैनिकों को सहायता प्रदान की। रूसी-तुर्की युद्ध (1877-1878) के दौरान,  ब्रिटिश रेड क्रॉस ने एक स्टील-हल्लेदार जहाज की आपूर्ति की, जो एंटीसेप्सिसके लिए  क्लोरोफॉर्म  और अन्य  निश्चेतक और  कार्बोलिक एसिड सहित आधुनिक सर्जरी उपकरणों से लैस था। इसी तरह के जहाजों ने स्पेनिश और अमेरिकी युद्ध के दौरान मिस्र और सहायता प्राप्त अमेरिकी कर्मियों के 1882 आक्रमण के साथ। रुसो-जापानी युद्ध (1904–05) में दोनों पक्षों द्वारा अस्पताल के जहाजों का उपयोग किया गया था। यह रूसी अस्पताल के जहाज "Orel" के जापानी द्वारा देखा गया था, नियमों के अनुसार सही ढंग से प्रकाशित किया गया था, जिससे त्सुशिमा की निर्णायक नौसेना लड़ाई हुई थी । लड़ाई के बाद जापानियों द्वारा युद्ध के पुरस्कार के रूप में "Orel" को बरकरार रखा गया था। विश्व युद्ध. प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, अस्पताल के जहाजों का पहली बार बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया था। कई यात्री जहाजों को अस्पताल के जहाजों के रूप में उपयोग करने के लिए परिवर्तित किया गया था। RMS  Aquitania और HMHS  ब्रिटानिक इस क्षमता में सेवा करने वाले जहाजों के दो प्रसिद्ध उदाहरण थे। प्रथम विश्व युद्ध के अंत तक, ब्रिटिश रॉयल नेवी के पास सेवा में 77 ऐसे जहाज थे। गैलीपोली अभियान के दौरान, मिस्र में 100,000 से अधिक घायल कर्मियों को निकालने के लिए अस्पताल के जहाजों का उपयोग किया गया था । कनाडा ने दोनों विश्व युद्धों में अस्पताल के जहाजों का संचालन किया। प्रथम विश्व युद्ध में इन एसएस "Letitia" (प्रथम) और शामिल HMHS "Llandovery Castle", एक जर्मन यू-बोट द्वारा जान-बूझकर डुबाने वाले के रूप से चिह्नित किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध में, कनाडा ने अस्पताल के जहाज RMS लेडी नेल्सन और एसएस लेटिटिया (II) संचालन किया। अमेरिकी नौसेना में पहला जानबूझकर निर्मित अस्पताल जहाज USS Relief था जो ९ २१ में कमीशन की गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना और सेना दोनों ने अलग-अलग उद्देश्यों के साथ अस्पताल के जहाजों का संचालन किया। नौसेना अस्पताल के जहाज पूरी तरह से सुसज्जित अस्पताल थे जिन्हें युद्ध के मैदान से सीधे हताहत होने के लिए डिज़ाइन किया गया था और फ्रंट लाइन मेडिकल टीमों के लिए उपस्कर सहायता प्रदान करने के लिए आपूर्ति की गई थी। सेना के अस्पताल के जहाज अनिवार्य रूप से अस्पताल परिवहन थे और मरीजों को आगे के क्षेत्र से निकालने के लिए सुसज्जित थे। सेना के अस्पतालों को पीछे के क्षेत्र के अस्पतालों या उन लोगों से संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानांतरित किया गया था और बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष युद्ध हताहतों को संभालने के लिए सुसज्जित या कर्मचारी नहीं थे। नौसेना अस्पताल के जहाजों में से तीन, USS  आराम, USS  होप, और USS  दया, अन्य नौसेना अस्पताल के जहाजों से कम विस्तृत रूप से सुसज्जित थे, जो चिकित्सकीय रूप से सेना के चिकित्सा कर्मियों द्वारा नियुक्त किए गए थे और सेना के मॉडल के उद्देश्य से समान थे। अंतिम ब्रिटिश शाही नौका, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद HMY  ब्रिटानिया, इस रूप से एक तरह से निर्माण किया गया था, ताकि युद्ध के समय में जहाज को आसानी से अस्पताल के जहाज में परिवर्तित किया जा सके। अपनी सेवा से निर्वित होने के बाद, पीटर हेनेसी ने पाया कि यह एक कवर स्टोरी थी: उसकी वास्तविक भूमिका परमाणु हथियारों से क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय की शरणस्थल के रूप में रही होगी, जो पश्चिमी स्कॉटलैंड के लोच ( फेजर्ड ) के बीच छिपी हुई थी। लुन-क्लास एकक्रानोप्लान के विकास को 297नॉट (550 किमी/घंटा, 341.8 मील प्रति घंटे) की गति से किसी भी महासागर या तटीय स्थान पर तेजी से तैनाती के लिए मोबाइल फील्ड अस्पताल के रूप में उपयोग के लिए नियोजित किया गया था । इस मॉडल,  "स्पाटेल"पर काम 90% पूरा होगया था, लेकिन सोवियत सैन्य वित्तपोषण बंद हो गया और यह कभी पूरा नहीं हुआ। कुछ अस्पताल के जहाज, जैसे SS "होप" और "एराफांज़ा डेल मार", नागरिक एजेंसियों से संबंधित हैं, किसी भी नौसेना का हिस्सा नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय कानून. अस्पताल के जहाजों को 1907 के हेग कन्वेंशन एक्स के तहत कवर किया गया था । हेग कन्वेंशन एक्स के अनुच्छेद चार ने एक अस्पताल जहाज के लिए प्रतिबंधों की रूपरेखा प्रस्तुत की: समुद्र में सशस्त्र संघर्ष के लिए लागू अंतर्राष्ट्रीय कानून पर सैन रेमो मैनुअल के अनुसार, कानूनी प्रतिबंधों का उल्लंघन करने वाले अस्पताल जहाज को विधिवत चेतावनी दी जानी चाहिए और उसका पालन करने के लिए उचित समय सीमा दी जानी चाहिए। यदि अस्पताल का जहाज प्रतिबंधों का उल्लंघन करता रहता है, तो एक जुझारू व्यक्ति कानूनी रूप से इसे पकड़ने या अनुपालन को लागू करने के लिए अन्य साधन लेने का हकदार है। एक गैर-अनुपालन अस्पताल के जहाज को केवल निम्नलिखित शर्तों के तहत निकाल दिया जा सकता है: अन्य सभी परिस्थितियों में, अस्पताल के जहाज पर हमला करना युद्ध अपराध है । आधुनिक अस्पताल जहाजों में बड़े प्रदर्शित लाल क्रॉस या रेड अर्द्धचंद्र होते हैं यह दर्शाते है कि जिनेवा कन्वेंशन के तहत इन जहाजों को युद्ध के कानूनों के अनुसार संरक्षण मिला है। फिर भी, चिह्नित पोत हमले से पूरी तरह से मुक्त नहीं हुए हैं। अस्पताल जहाजों जानबूझ कर युद्ध के समय के दौरान हमला किया के उल्लेखनीय उदाहरण हैं HMHS "Lladovery castle" 1915 में, सोविएत अस्पताल जहाज 941 में, और AHS "centaur" 1943 में। अन्य जलपोत अस्पताल. नौसेना जहाजों, विशेष रूप से बड़े जहाजों जैसे कि विमान वाहक और उभयचर हमला जहाजों के लिए ऑन-बोर्ड अस्पताल होना आम है। हालांकि, वे पोत की समग्र क्षमता का केवल एक छोटा सा हिस्सा हैं, और मुख्य रूप से जहाज के चालक दल और इसकी उभयचर बलों (और कभी-कभी राहत मिशन के लिए) के लिए उपयोग किया जाता है। वे "अस्पताल के जहाज" के रूप में योग्य नहीं हैं, क्योंकि वे चिह्नित नहीं हैं और इस तरह के रूप में नामित हैं, और सशस्त्र जहाजों के रूप में वे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अस्पताल के जहाज के रूप में सुरक्षा से अयोग्य हैं। विभिन्न नौसेनाओं के इन जहाजों के उदाहरणों में शामिल हैं; अमेरिकी नौसेना के जहाजों के कई वर्ग ऑन-बोर्ड अस्पतालों से सुसज्जित हैं; संदर्भ. इस लेख में अमेरिकी नौसैनिक लड़ जहाजों के सार्वजनिक डोमेन शब्दकोश से पाठ को शामिल किया गया है । यहां एंट्री मिल सकती है। .
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सर्जियो लोबेरा. सर्जियो लोबेरा रोड्रिग्ज (जन्म 16 जनवरी 1977) एक स्पेनिश फ़ुटबॉल प्रबंधक है।
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मियाँ असग़र हुसैन देबन्दी. " मियां सैय्यद असग़र हुसैन " (16 अक्टूबर 1877 - 8 जनवरी 1945)एक समकालीन भारतीय सुन्नी इस्लाम इस्लामिक विद्वान जो देवबन्द इस्लामी विचार के स्कूल से थे | वह हाजी इमदादुल्लाह मुहाजिर मक्की और शायखुल हिंद मौलाना महमूद-उल-हसन के शिष्य थे। पारिवारिक पृष्ठभूमि. मियां असगर हुसैन के पूर्वज बगदाद से भारत आए थे। उन्हें अब्दुल कादिर जिलानी से उतारा गया है। शाहजहाँ के काल में, सैय्यद गुलाम रसूल अपने परिवार के साथ भारत चले गए थे। उन्हें देवबंद की शाही मस्जिद में इमामत और ख़िताब सौंपा गया था। उनके दो बेटे थे, सैय्यद गुलाम नबी और सैय्यद गुलाम अली। दोनों भाइयों की शादी सैय्यद शाह अमीरुल्लाह की बेटियों के साथ हुई थी। सैय्यद गुलाम अली की तीन बेटियाँ और दो बेटे थे। उनके बड़े बेटे सैय्यद आलम मीर मियाँ असगर हुसैन के दादा बनते हैं। सैय्यद आलम मीर की शादी सय्यद शाह हाफ़िज़ुल्लाह की बेटी 'अज़ीमुन निसा' के साथ हुई थी। उनकी एक बेटी " वजीह-उन-निसा " और बेटा " शाह सैय्यद मुहम्मद हसन " है जो मियां असगर हुसैन के पिता बनते हैं। सैय्यद मुहम्मद हसन ने दो बार शादी की, पहले 'मरियम-उन-निसा' के साथ, जिन्होंने उन्हें एक बेटा " सैय्यद खुर्शीद " और एक बेटी " मासूम-उन-निसा " से बोर किया; " मरियम-उन-निसा " के निधन के बाद, मुहम्मद हसन ने अपनी बहन की शादी " नसीब-अन-निसा "से की जिसने उन्हें एक बेटा दिया, " असगर हुसैन ".. जन्म और शिक्षा. जन्म. मियाँ असग़र हुसैन का जन्म 16 अक्टूबर 1877 को देवबंद में सैय्यद मुहम्मद हसन और नसीबुन निसा बिन सैय्यद मंसूब अली से हुआ था। नाम और वंश. उनका इस्मत (दिया गया नाम) है: सैय्यद असग़र हुसैन इब्न सय्यद शाह मुहम्मद हसन इब्न सय्यद शाह आलम मीर इबाद सय्यद ग़ुलाम अली इब्न सय्यद ग़ुलाम रसूल बग़दादी इब्न सय्यद शाह फ़ाक़ुल शाह अज़म सानी इब्न सय्यद नाज़ मुहम्मद इब्न सय्यद सुल्तान मुहम्मद इब्न सय्यद अज़म मुहम्मद इब्न सय्यद अबू मुहम्मद इब्न सय्यद कुतबुद्दीन इब्न सय्यद बहाउद्दीन इब्न सय्यद जमालुद्दीन इब्न सय्यद कुतुबुद्दीन इब्न सय्यद दाऊद इब्न मुहीउद्दीन अबू अब्दुल्ला इब्न सय्यद अबू सालेह नस्र इब्न सय्यद अब्दुर रज़्ज़ाक इब्न अब्दुल कादिर जिलानी। शिक्षा. जब वह 8 वर्ष का हो गया, तो उसने अपने सैय्यद मुहम्मद अब्दुल्ला उर्फ ​​मियांजी मुन्ने शाह और अपने पिता से कुरान का अध्ययन किया और फिर उससे फारसी का अध्ययन शुरू किया। बाद में उन्हें दारुल उलूम देवबंद में दाखिला दिया गया। उन्होंने फारसी वर्ग के साथ जारी रखा और मुहम्मद शफी देवबंदी के पिता मौलाना मुहम्मद यासीन से फारसी का अध्ययन किया। उन्होंने मौलाना मंजूर अहमद से गणित का अध्ययन किया। उन्होंने फ़ारसी की कक्षा प्रथम स्थान के साथ उत्तीर्ण की और जल्द ही मुवत्ता इमाम मलिक को एक मानद उपहार के रूप में प्राप्त किया। जैसा कि मियां असगर 17 या 18 साल के हो गए और दारुल उलूम देवबंद में अरबी कक्षाओं में पहुँचे, 20 सितंबर 1894 को उनके पिता का निधन हो गया। उन्होंने लगभग एक वर्ष के लिए अपनी पढ़ाई बंद कर दी और अपने पैतृक मदरसे में पढ़ाने लगे। शायखुल हिंद के अनुरोध पर, मियां असगर ने दारुल उलूम देवबंद में 1 अप्रैल 1896 को फिर से प्रवेश किया और अरबी कक्षाओं के साथ जारी रखा। उन्होंने शायखुल हिंद से साहेब बुखारी, साहेह मुस्लिम, जामी तिर्मिदी और सुनन अबू दाऊद का अध्ययन किया। उनके अन्य शिक्षकों में मुफ़्ती अज़ीज़ुर रहमान और मौलाना ग़ुलाम रसूल बाग़वी शामिल हैं। उन्होंने 1320 एएच में स्नातक किया और शायखुल हिंद और मौलाना मुहम्मद अहमद नानोटवी से प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया गया। व्यवसाय. दारुल उलूम देवबंद से स्नातक होने के बाद, उन्होंने दारुल उलूम के कार्यालय विभाग में एक वर्ष से अधिक समय तक काम किया। फिर उनके शिक्षकों शेखुल हिंद और मुहम्मद अहमद नैनोटवी ने उन्हें अटाला मस्जिद, जौनपुर के मदरसे में हेड-टीचर के पद पर भेजा और उन्होंने वहाँ 7 वर्षों तक सेवा की। इस बीच, 1327 AH में, उन्होंने 1908 में सराय मीर, आज़मगढ़ में " मदरसतुल इस्लाह 'की आधारशिला रखी। उन्हें बुलाया गया दारुल उलूम देवबंद और दारुल उलूम के 'अल-कासिम' पत्रिका के सह-संपादकीय के साथ सौंपा गया था, जबकि संपादक मौलाना हबीबुर रहमान थे। उन्हें दारुल उलूम देवबंद में सुनन अबू दाऊद का शिक्षण सौंपा गया और उन्होंने जलालीन और दुर-ए-मुख्तार की तरह तफ़सीर और फ़िक़ह की किताबें भी सिखाईं। उनके उल्लेखनीय छात्रों में शामिल हैं मुहम्मद शफी देवबंदी , मनज़िर अहसान गिलानी। और मुफ्ती नसीम अहमद फरीदी। उन्होंने अपने पैतृक मदरसे को फिर से शुरू किया जो उनके पिता की मृत्यु के बाद से बंद हो गया था। मदरसा बाद में उनके बेटे " हाजी सैय्यद बिलाल हुसैन मियां " (9 फरवरी 1990) की देखरेख में आया और अब उन्हें 'मदरसा असग़रिया नदीम' के रूप में जाना जाता है, जबकि उनका ऐतिहासिक नाम " दारुल मुसाफिरें, मदरसा तलेमुल कुरान है। "। साहित्यिक कार्य. मौलाना असगर हुसैन ने उर्दू भाषा में लगभग तीस बड़ी और छोटी किताबें लिखी हैं। उनकी कुछ उल्लेखनीय किताबें हैं: शादी और पारिवारिक जीवन. दारुल उलूम देवबंद के छात्र दिनों के दौरान मियां असगर हुसैन ने सैय्यद मुश्ताक हुसैन की बेटी से शादी की। उन्होंने अपने दो बेटों " सैय्यद मियां अख्तर हुसैन ", " सैय्यद मियां बिलाल हुसैन " और एक बेटी " फहमीदा " को जन्म दिया। मौत. मियां असगर हुसैन का निधन 8 जनवरी 1945 (इस्लामिक तारीख 22 मुहर्रम, 1364 AH) को कार्डियक अरेस्ट के कारण हुआ था। उन्हें रैंडर, सूरत में दफनाया जाता है।
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दिव्या उन्नी. दिव्या उन्नी भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना हैं जो भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी और मोहिनीअट्टम जैसे नृत्य के विभिन्न रूपों को सिखाती हैं। वह अभिनेत्री भी हैं, जो मुख्य रूप से मलयालम में 50 से अधिक फिल्मों में दिखाई दी हैं। जीवनी. दिव्या उन्नी का जन्म भारत के केरल के कोच्चि में हुआ था। उनकी माता उमा देवी संस्कृत की शिक्षिका हैं और भवन्स विद्या मंदिर, गिरिनगर में संस्कृत विभाग की प्रमुख हैं। उनकी एक बहन विद्या उन्नी हैं, जो दो मलयालम फिल्मों में मुख्य भूमिका में काम कर चुकी हैं। दिव्या ने अपनी स्कूली शिक्षा भवन के विद्या मंदिर, गिरिनगर में पूरी की। दिव्या ने तीन साल की उम्र में भरतनाट्यम नृत्य प्रशिक्षण शुरू किया। उसके बाद उन्हें कुचीपुड़ी और मोहिनीअट्टम में प्रशिक्षित किया गया। भारत के प्रमुख टेलीविजन चैनल दूरदर्शन पर उन्होंने भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, मोहिनीअट्टम और भारतीय लोक नृत्य जैसे कई भारतीय नृत्य कला-रूपों को प्रस्तुत किया है। वह विभिन्न भारतीय नृत्य समारोहों और उत्तरी अमेरिका, यूरोप और फारस की खाड़ी के देशों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करती हैं। पश्चिम में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने की खोज में, दिव्या संयुक्त राज्य अमेरिका में छोटे बच्चों की कलात्मक प्रतिभा विकसित कर रही है, जहां वह रहती है। इस लक्ष्य के साथ, वह वर्तमान में ह्यूस्टन, टेक्सास, संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रीपादम स्कूल ऑफ आर्ट्स की निदेशक हैं। दिव्या ने मलयालम, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में 50 से अधिक फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाई है। इसके बाद, उन्होंने अभिनेता मोहनलाल, ममूटी, सुरेश गोपी और जयराम के साथ काम किया।
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16 ब्लॉक्स. 16 ब्लॉक्स रिचर्ड डोनर द्वारा निर्देशित और ब्रूस विलिस, मोस डेफ और डेविड मोर्स द्वारा अभिनीत 2006 की अमेरिकी एक्शन थ्रिलर फिल्म है। फिल्म रियल टाइम नैरेशन विधि में सामने आती है। यह डोनर का अंतिम निर्देशन का प्रयास है, क्योंकि उसी वर्ष वह सेवानिवृत्त हो गए थे। संक्षेप. एक उम्र बढ़ने वाले शराबी पुलिस को 16 ब्लॉक दूर एक अदालत में एक गवाह को पुलिस हिरासत से भागने का काम सौंपा जाता है। हालांकि, काम पर अराजक ताकतें हैं जो उन्हें एक टुकड़े में बनाने से रोकती हैं। बॉक्स ऑफिस. वार्नर ब्रदर्स द्वारा रिलीज़ की गई फिल्म संयुक्त राज्य अमेरिका में 3 मार्च 2006 को खुली। अपने शुरुआती सप्ताहांत में, फिल्म ने $ 12.7 मिलियन की कमाई की, जो सप्ताहांत की दूसरी सबसे अधिक कमाई वाली फिल्म थी। 15 मई, 2006 की समापन तिथि के अनुसार, फिल्म ने यूएस बॉक्स ऑफिस पर कुल $ 36.895 मिलियन की कमाई की। इसने दुनिया भर में $ 65.6 मिलियन कमाए। बॉक्स ऑफिस मोजो के अनुसार, उत्पादन लागत लगभग $ 55 मिलियन थी। इस फिल्म ने रेंटल पर $ 51.53 मिलियन कमाए, और लगातार 17 हफ्तों तक डीवीडी टॉप 50 चार्ट्स पर बनी रही। रिसेप्शन. रॉटन टोमाटो द्वारा एकत्र की गई 161 समीक्षाओं के आधार पर, फिल्म को आलोचकों से 56% अनुमोदन रेटिंग मिली, जिसका औसत स्कोर 5.9 / 10 है। साइट की सर्वसम्मति में लिखा है: "ब्रूस विलिस और मॉस डेफ के दमदार प्रदर्शन के बावजूद, "16 ब्लॉक" बमुश्किल एक्शन जॉनर में एक दुकानदार की प्रविष्टि से ऊपर उठते हैं।" मेटाक्रिटिक, जो मुख्य मुख्यधारा के आलोचकों से समीक्षा के आधार पर 0–100 की श्रेणी में रेटिंग प्रदान करता है, उसने 34 के आधार पर 63 के स्कोर की गणना की, जो "आम तौर पर अनुकूल समीक्षा" को इंगित करता है। CinemaScore द्वारा प्रदत्त ऑडियंस ने फिल्म को ए + से एफ पैमाने पर "बी +" का औसत ग्रेड दिया। "द विलेज वॉयस के" माइकल एटकिंसन ने टिप्पणी की कि "क्लिच जमीन पर मोटी आती है" और इसे "महाकाव्य प्रतीत होने की कोशिश करने वाली एक छोटी फिल्म, या एक फूला हुआ राक्षस दुबला दिखने की कोशिश कर रहा है।" "रोलिंग स्टोन के" पीटर ट्रैवर्स ने फिल्म को चार में से ढाई स्टार दिए और विलिस एंड मॉस डेफ को "एक भयानक टीम" कहा, "यह निष्कर्ष निकाला कि" जब तक रिचर्ड वेन्क की स्क्रिप्ट पात्रों को पक्की धारणा की ईंट की दीवार में ले जाती है, तब तक यह है। एक जंगली सवारी। " "शिकागो सन-टाइम्स के" आलोचक रोजर एबर्ट ने इसे चार में से तीन स्टार दिए और मोस डेफ की सराहना की "अपने अभिनय के प्रदर्शन के लिए जो एक एक्शन फिल्म में पूरी तरह से अप्रत्याशित है," फिल्म को कॉल करते हुए "एक पीछा तस्वीर जो एक वेग से आयोजित की जाती है, जो कि लगभग सही है एक मध्यम आयु वर्ग के शराबी। " "द बोस्टन ग्लोब के" वेस्ले मॉरिस ने फिल्म को बेहद पुराने ढंग से बताया, उसके निर्देशन के लिए डोनर की प्रशंसा की, लेकिन मौलिकता की कमी के लिए फिल्म की आलोचना करते हुए कहा कि यह क्लिंट ईस्टवुड द्वारा निर्देशित "द गौंटलेट" की रीमेक की तरह लगता है। पुनर्निर्माण. मई 2013 में, ओरिजिनल एंटरटेनमेंट ने "रेम्बो के" बॉलीवुड रीमेक, "द एक्सपेंडेबल्स", "16 ब्लॉक्स", "88 मिनट्स" और "ब्रुकलिन के सबसे अच्छे" प्रोडक्शन के लिए मिलेनियम फिल्म्स के साथ पांच-पिक्चर डील को सील करने की पुष्टि "की", "रेम्बो" और "द एक्सपेंडेबल्स के" लिए प्रोडक्शंस की शुरुआत के साथ। उस वर्ष का अंत।
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नटर डेम कॉलेज, ढाका. नटर डेम कॉलेज, ढाका () एक कैथोलिक महाविद्यालय है और साथ ही एक डिग्री कॉलेज, ढाका में स्थित है। 1949 में कांग्रेसी ऑफ होली क्रॉस नामक पुजारियों के एक समाज ने इसकी स्थापना की। एचएससी परीक्षा के परिणाम के अनुसार, इसे बांग्लादेश के सर्वश्रेष्ठ कॉलेजों में से एक माना जाता है।
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केरला साइबर वारियर्स. केरला साइबर वारियर्स एक भारतीय हैकिंग संगठन है जिसे आमतौर पर के.सी.डब्ल्यू के रूप में संक्षिप्त किया जाता है। संगठन की स्थापना 23 अक्टूबर 2015 को GH057_R007 द्वारा की गई थी। इस संगठन का कुछ खास हैकिंग कार्य जैसे 2017 में,कुलभूषण जाधव के पाकिस्तान में इलाज के लिए (जवाबी कार्रवाई में) पाकिस्तान के विभिन्न ग्रामीण सरकारी वेबसाइटों की हैकिंग, जैसे कि पाकिस्तान के एकेडमी फॉर रूरल डेवलपमेंट को 2017 में हैक करना शामिल है। 2016 में, बांग्लादेशी क्रिकेट प्रशंसकों द्वारा भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की एक रूपांतरित छवि निकाले जाने के बाद, केरल साइबर वारियर्स ने बांग्लादेश में विभिन्न वेबसाइटों को हैक कर लिया। इन वेबसाइटों में सरकारी वेबसाइटें भी शामिल थीं। संग़ठन को 24 जनवरी 2018 को बंद कर दिया गया लेकिन 17 सदस्यों और 2 प्रवेशकों के साथ 8 अगस्त 2018 को वापस वे वापस आ गए। साइबर हमलों की सूची. 30 जनवरी 2019 को, हिंदू महासभा ने महात्मा गांधी की हत्या को फिर से दर्ज किया और उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे का महिमामंडित किया। इसके जवाब में, हिंदू महासभा की आधिकारिक वेबसाइट केरल साइबर वारियर्स द्वारा हैक कर ली गई थी। तथा अभी तक हैक ही है। As of now, it is still hacked. के.सी.डब्ल्यू ने अगस्त 2018 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा की वेबसाइट को भी हैक कर लिया, उन्होंने उसमे 'मसालेदार गाय (बीफ) की कढ़ी' की रेसिपी को समलित कर दिया। यह संग़ठन पाकिस्तानी वेबसाइटों को हैक करके तथा उनमें हैशटैग #OP_PAK_CYBER_CYBER_SPACE के और घृणास्पद भाषण के साथ भारतीय वेबसाइटों को हैक करने के लिए पाकिस्तान हैकर्स की प्रतिक्रिया के रूप में इस्तेमाल किया। यह पे बैक ऑपरेशन उनके मुख्य मिशन में से एक था। इसके अलावा, वे हमेशा पाकिस्तानी वेबसाइटों पर बड़े पैमाने नज़र रखते हैं। 26 जनवरी को भारतीय स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त को भारतीय स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना देने के लिए टीम कई दोषपूर्ण वेबसाइटों के साथ आती है, तथा 26 नवंबर को शहीद वीरों को याद करती है जिन्होंने मुंबई हमले में अपने प्राणों की आहुति दी थी। समूह ने 2000 से अधिक पाकिस्तान की सरकारी संगठनों, शैक्षिक वेबसाइटों को हैक करने का दावा किया। 25 नवंबर 2015 को, केरल साइबर वारियर्स ने प्रकाश प्राप्त करने के लिए फर्जी समाचार और पोर्नोग्राफ़ी से संबंधित सुर्खियाँ प्रकाशित करने के लिए एक क्षेत्रीय मीडिया वेबसाइट को हैक कर लिया। टीम के सदस्य ने दावा किया, कि उन्होंने प्रकाशित किए गए लेखों को हटा दिया है और मीडिया को चेतावनी दी है कि वे ध्यान देने के लिए किसी भी अधिक नकली कहानियों और पोर्नो संबंधित सुर्खियों को प्रकाशित न करें। हमले की सूचना बाद में वन इंडिया के एक मीडिया कॉल ने दी। 4 जुलाई, 2017 को केरल के एक पूर्व साइबर वॉरियर्स समूह के सदस्य ने पीडोफिलिया द्वारा चलाए गए "सुंदरी कुटीकल" (सुंदर बच्चे) नामक एक फेसबुक पेज को हैक कर लिया। हैकर ने, फिर मिशन नाम #OP_IN_SEX_RACKETS के साथ एक संदेश पोस्ट किया और उस व्यक्ति को उजागर किया जो पेज बनाने के पीछे था और एक वीडियो में पेज से प्राप्त चैट को दिखाया। बॉयकॉट या बहिष्कार केरल एक भ्रामक सूचना का परिणाम है जो कि भारत के पशु कल्याण बोर्ड द्वारा फैलाई गई थी। जंगली कुत्तों के हमलों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए, राज्य सरकार लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए मजबूर थी और जो लोग इस अफवाह को फैला रहे थे उन्हें भी नहीं पता कि केरल में वास्तव में क्या हो रहा था, लोग इन आवारा कुत्तों से कितनी बुरी तरह पीड़ित थे। यहां तक ​​कि छोटे बच्चे भी शामिल थे जो ट्यूशन के बाद घर लौटते थे। सबसे बुरी बात यह थी कि ये अफवाहें जंगल की आग की तरह फैलती चली जा रही थी और नस्लीय नफरत की भावना दक्षिण भारत के खिलाफ विकसित हो रही है और राज्य को दुख में छोड़ती जा रही थी। केरल साइबर वारियर्स ने #OP_BOYCOTTKERALA मिशन शुरू किया और कई फेसबुक प्रोफाइलों को हैक किया, जिन्होंने केरल के बारे में फर्जी आरोप और अभद्र भाषा, समाचार फैलाई थी। हैकर ने उनके वीडियो को अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर पोस्ट भी किया था। केरल साइबर वारियर्स के अंदर के लोगो ने अशिष्ट तस्वीर शेयर करने वाले 1000 से अधिक फेसबुक पेज को हैक कर लिया तथा पेज का अधिकार भी ले लिया। उन्होंने उन लोगो के छिपे हुए मकशद को उजागर किया जो फेसबुक पर वेश्यावृत्ति का विज्ञापन कर रहा थे। केरल के साइबर वारियर्स ने बांग्लादेश के गेंदबाज तस्कीन अहमद के एक प्रशंसक के द्वारा महेंद्र सिंह धोनी के तस्वीर से छेड-छाड़ करके ट्रोल करने के बाद, बांग्लादेशी सरकारी डोमेन सहित 20 से अधिक बांग्लादेश स्थित वेबसाइटों को हैक कर लिया है। केरल साइबर वारियर्स के चालक दल के सदस्यों ने "बांग्लादेश के नागरिकों को संदेश के साथ वेबसाइटों पर पोस्ट कर लिखा, इसकी जानकारी बीबीसी और डेली मेल में दी गयी। केरल साइबर वारियर्स ने एक स्कूल वेबसाइट को हैक कर लिया जिसमें उनके छात्र के साथ असमान व्यवहार किया गया। हैकर्स ने अपनी वेबसाइट पर हैशटैग #OP_Iququality के साथ एक संदेश छोड़ा, जिसमें कहा गया है, भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। केरल साइबर वारियर्स ने बॉबी चेम्मनुर की वेबसाइट को हैक कर लिया जब उसका स्टिंग ऑपरेशन वायरल हो रहा था। ज्वैलर्स की वेबसाइट सहित हैकरों ने उसकी 3 अन्य वेबसाइटों को भी हैक किया,यह उस वक्त हुआ जब मुख्यधारा के मीडिया ने उसे अपने ज्वैलर्स के विज्ञापनों के लिए नजर अंदाज कर दिया। संग़ठन ने अपनी वेबसाइट में उजागर वीडियो के साथ एक संदेश छोड़ा। केरल साइबर वारियर्स ने #OP_Boycottkererala के बाद इस मिशन की शुरुआत की। टीम ने 15 से अधिक सक्रिय एस्कॉर्ट एजेंसियों की वेबसाइटों को नष्ट कर दिया, जो सेक्स रैकेट सेवा को बढ़ावा दे रही थी। उन्होंने उसे धमकी भी दी कहा, इसके बाद वेबसाइट ऑफ़लाइन हो गईं और फिर ऑनलाइन नहीं आईं थी। 10 जनवरी 2017 को केरल साइबर वारियर्स ने जस्टिस फॉर जिष्णु प्रणॉय को प्रदर्शित करने के लिए नेहरू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च सेंटर की आधिकारिक वेबसाइट को हैक कर लिया,जिष्णु प्रणॉय जो प्रथम वर्ष के बी.टेक के छात्र थे, नेहरू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च के छात्रावास में फाँसी पर लटके पाए गए थे। हैकर ने एक संदेश छोड़ा,
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डिघिया. यह गांव उत्तर प्रदेश के जिला हरदोई ब्लाक हरियावा में स्थित है। 5 गांव की ग्राम पंचायत में स्थित एक मुख्य ग्राम है। यह गांव की राजनीति में विशेष स्थान रखता है। यातायात. रेल मार्ग द्वारा. दिल्ली लखनऊ रेल मार्ग से साढे 350 किलोमीटर आगे हरदोई रेलवे स्टेशन पर उतरकर वहां से 16 किलोमीटर सकाहा की बस पकड़ कर सकाहा पहुंच जाते हैं। यहां से फिर 5 किलोमीटर टेंपो से खेरिया पहुंचकर इस गांव में पहुंचा जा सकता हैं। बस द्वारा. दिल्ली आनंद विहार से हरदोई जाने के लिए वाली बस है आराम से मिल जाती है इन बसों से आप हरदोई पोस्ट सकते हैं। फिर उपरोक्त बताए मार्ग के द्वारा इस गांव में पहुंचा जा सकता है। जातीय समुदाय. यहां पर सामान्यत है हिंदू धर्म और मुसलमान धर्म की सभी जातियां निवास करती हैं इनमें से मुख्य थे जातियां हैं। जैसे राजपूत, ब्राह्मण, राठौर, जाटव, पासी, यादव, पाल, धनगर,बघेल गड़रिया, इत्यादि। निकटवर्ती बाजार. यहां से सबसे नजदीक खेरिया है जो की दूरी 1 किलोमीटर है। दूसरा बाजार यहां का विजगवां है जो किइस गांव से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यहां से लोग आसानी से अपना दैनिक जीवन में उपयोगी वस्तुओं का बाजार करते हैं। शैक्षणिक संस्थान. इस गांव में शिक्षा का प्रसार उच्चस्तरीय है। गांव गांव में ही ग्रामोदय इंटर कॉलेज व ग्रामोदय महाविद्यालय स्थित है। रोजगार. रोजगार के मामले में यह गांव काफी पिछड़ा हुआ है।रोजगार के लिए यहां के नौजवानों को परदेश जाना पड़ता है कहने का तात्पर्य दूसरे राज्यों में नौकरी करने के लिए जाना पड़ता है।
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किरकी छावनी. किरकी छावनी (Kirkee Cantonment) या खड़की (Khadki) भारत के महाराष्ट्र राज्य के पुणे ज़िले में स्थित एक छावनी नगर है। यहाँ बॉम्बे सैपर्स का रेजिमेंटल सेंटर स्थित है।
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क्रिश्चियन नोडल. क्रिश्चियन जेसुज गोंजालेज नोडल (n)। काबोरका, सोनोरा, 11 जनवरी, 1999) एक मैक्सिकन गायक और गीतकार हैं । रिकॉर्ड लेबल फोनोविसा के तहत 2017 में रिलीज़ हुए उनके पहले एकल "एडिओस एमोर" को यूट्यूब पर 880 मिलियन से अधिक बार देखा गया है, जिसके साथ उन्हें मैक्सिको और संयुक्त राज्य में विभिन्न मीडिया में प्रसिद्धि के लिए लॉन्च किया गया था।
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पटियाला एवं पूर्वी पंजाब राज्य संघ. पेप्सू (अंग्रेजी: PEPSU, "Patiala and East Punjab States Union") से आता है। इसका मतलब है पटियाला और पूर्वी पंजाब राज्य संघ। यह अंग्रेजों के अधीन पंजाब प्रांत का एक हिस्सा था, जो 1948 से 1956 तक भारत का एक प्रांत रहा था। यह आठ जिलों पटियाला, जींद, नाभा, फरीदकोट, कलसिया, मलेरकोटला, कपूरथला और नालागढ़ से मिलकर बना था। इसका गठन 15 जुलाई, 1948 को किया गया था और 1950 में यह भारत का एक प्रांत बन गया। इसकी राजधानी पटियाला थी और क्षेत्रफल 26,208 वर्ग किलोमीटर था, और शिमला, कसौली, कंडाघाट, धरमपुर और चैल इसका हिस्सा थे। जब 1947 में अंग्रेजों ने भारत छोड़ा, तो पंजाब में कई रियासतें थीं, जिनमें प्रमुख थीं पटियाला, कपूरथला, जींद, फरीदकोट, मालेरकोटला, नालागढ़। पंजाब में अब दो राज्य थे: पंजाब और पेप्सू। पंजाबी क्षेत्र की बोली पंजाबी (गुरुमुखी लिपि) में अपनाई गई थी। पेप्सू में पंजाबी और हिंदी भाषी क्षेत्र थे। 13 जनवरी 1949 को, ज्ञानी सिंह ररेवाला पेप्सू के पहले मुख्यमंत्री बने और कर्नल राघीर सिंह 23 मई 1951 को दूसरे मुख्यमंत्री बने। 1 नवंबर, 1956 को पेप्सू प्रांत लगभग पूरी तरह नव-गठित पंजाब राज्य में विलय कर दिया गया। पेप्सू का एक हिस्सा, जिसमें जींद के आसपास का दक्षिण-पूर्वी हिस्सा और नारनौल एन्क्लेव शामिल है, वर्तमान में हरियाणा राज्य में स्थित है, जो 1 नवंबर 1966 को पंजाब से अलग हुआ था। कुछ अन्य क्षेत्र जो पेप्सू से संबंधित थे, विशेष रूप से सोलन और नालागढ़, वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में स्थित है। सब-डिविज़न. 1948 की शुरुआत में, पेप्सु राज्य को आठ जिलों में विभाजित किया गया था। जो इस प्रकार थे: लेकिन 1953 में, जिलों की संख्या घटाकर पाँच कर दी गई जिसमें बरनाला को संगरूर और सोलन और फतेहगढ़ को पटियाला में मिला दिया गया। पेप्सू में चार लोकसभा क्षेत्र थे। जनसांख्यिकी. 1951 की जनगणना के अनुसार, प्रांत की जनसंख्या 34,93,685 थी, जिसमें 19% आबादी शहरी थी और जनसंख्या घनत्व 133 प्रति वर्ग किमी था।
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भोपाल राज्य (१९४९-५६). भोपाल भारत का एक राज्य था, जिसका अस्तित्व 1949 से 1956 तक रहा था। यह राज्य भोपाल की रियासत से विकसित हुआ, और 1956 में मध्य प्रदेश बनाने के लिए पड़ोसी राज्यों के साथ विलय कर दिया गया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के शंकर दयाल शर्मा ने 1952 से 1956 तक भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
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कच्छ राज्य. कच्छ राज्य 1947 से 1956 तक भारत के भीतर एक राज्य था। इसकी राजधानी भुज थी। वर्तमान समय का गुजरात का कच्छ जिला, कच्छ राज्य के क्षेत्र से ही बना है। कच्छ की रियासत अंग्रेज शासन काल मे बड़ी रियासतों मे गिनी जाती थी। ये गुजरात राज्य के आधुनिक कच्छ ज़िले के क्षेत्र मे थी। इस रियासत का क्षेत्र फल १७,६१६ वर्ग मील था और आबादी ४८८,०२२ (१९०१ जनगणना के अनुसार)। कच्छ के शासक जडेजा राजपूत थे। कच्छ के शासक को १७ तोपों की सलामी का अधिकार था। १९४८ मे ये रियासत भारतीय संघ मे शामिल हो गयी। इतिहास. कच्छ रियासत से पहले एक राज्य था और इस की स्थापना ११४७ ई मे हुई थी। कच्छ के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजा थे। उनका शासन 23 अगस्त 1866 को शुरू हुआ और 15 जनवरी 1942 तक चला। कच्छ के अंतिम शासक श्री मदनसिंहजी थे, जिन्होने 26 जनवरी १९४८ से शासन शुरू किया। उसी वर्ष ४ मई को यह रियासत भारत में शामिल हो गयी। अर्थव्यवस्था. कच्छ रियासत से पहले एक राज्य था और इस की स्थापना ११४७ ई मे हुई थी। कृषि कच्छ की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र था। कुल कृषि भूमि 14.5 लाख एकड़ थी, जिसमें से 6 लाख एकड़ शासक की थी, जबकि शेष अन्य प्रमुखों की थी। बाजरा, दाल और कपास खरीफ की प्रमुख फसलें थीं। गेहूं, जौ और चना महत्वपूर्ण रबी फसलें थीं। मुद्रा. कच्छ की मुद्रा कोरी थी। यह 4.6 ग्राम वजन का एक चांदी का सिक्का था। 15 वीं शताब्दी के मध्य से 1948 तक, सिक्के का वजन लगभग समान था। कुछ अन्य रियासतों, जैसे कि नवानगर, पोरबंदर और जूनागढ़ की मुद्रा को भी कोरी कहा जाता था।
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त्रावणकोर-कोचीन. त्रावणकोर-कोचीन या तिरु-कोच्चि भारत का एक अल्पकालिक राज्य (1949-1956) था। इसे मूल रूप से संयुक्त राज्य त्रावणकोर और कोचीन कहा जाता था तथा इसे 1 जुलाई 1949 को दो पूर्व राज्यों त्रावणकोर और कोचीन के विलय से बनाया गया था, और तिरुवनंतपुरम को इसकी राजधानी। जनवरी 1950 में इसका नाम बदलकर त्रावणकोर-कोचीन राज्य कर दिया गया था।
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द मैकेनिक. द मैकेनिक एक 2011 की अमेरिकी एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जो साइमन वेस्ट द्वारा निर्देशित है, जिसमें जेसन स्टैथम और बेन फोस्टर ने अभिनय किया है। लुईस जॉन कार्लिनो और रिचर्ड वेनक द्वारा लिखित, यह उसी नाम की 1972 की फिल्म का रीमेक है। स्टेटहम बिशप के रूप में स्टैथम सितारे, एक पेशेवर हत्यारे, जो अपनी हिट को दुर्घटनाओं, आत्महत्या या क्षुद्र अपराधियों के कृत्यों की तरह बनाने में माहिर हैं। इसे अमेरिका और कनाडा में , 2011 को मिश्रित समीक्षाओं के लिए रिलीज़ किया गया था। एक सीक्वल, "मैकेनिक: पुनरुत्थान", 26 अगस्त 2016 को जारी किया गया था। संक्षेप. एक संभ्रांत हिटमैन अपने व्यापार को एक प्रशिक्षु को सिखाता है जिसका उसके पिछले पीड़ितों में से एक से संबंध होता है। उत्पादन. इरविन विंकलर और रॉबर्ट चार्टऑफ, 1972 मूल "मैकेनिक के" उत्पादकों ने एक अद्यतन बनाने की मांग की। रीमेक के पूर्व अधिकार फरवरी 2009 में बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में बेचे गए थे। ( "विविधता" ने बताया कि पटकथा कार्ल गजडूसेक ने लिखी थी। ) निर्देशक साइमन वेस्ट और जेसन स्टैथम को तीन महीने बाद परियोजना का हिस्सा घोषित किया गया। बेन फोस्टर और डोनाल्ड सदरलैंड अक्टूबर 2009 में स्टैथम के साथ आए थे। लुइसियाना के न्यू ऑरलियन्स में फिल्मांकन शुरू हुआ और नौ सप्ताह तक चला। फिल्मांकन के स्थानों में सेंट टामनी पैरिश, डाउनटाउन न्यू ऑरलियन्स में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और अल्जीयर्स सीफूड मार्केट शामिल थे। रिलीज़. नाटकीय रन. "मैकेनिक" को संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में , 2011 को जारी किया गया था। मिलेनियम फिल्म्स ने रिलीज के लिए सीबीएस फिल्म्स को अमेरिकी वितरण अधिकार बेचे। सुपर बाउल एक्सएलवी से एक सप्ताह पहले रिलीज़ होने के साथ, पुरुष दर्शकों के साथ अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद थी। फिल्म ने यूएस और कनाडा में अपने शुरुआती सप्ताहांत में कमाई की। यह दुनिया भर में $ 76.3 मिलियन के लिए अन्य क्षेत्रों में और उत्तरी अमेरिकी सकल के साथ समाप्त हुआ। आलोचनात्मक स्वीकार्यता. "मैकेनिक" को आलोचकों से मिश्रित समीक्षा मिली। रिव्यू एग्रीगेटर रॉटन टोमाटोज़ ने 156 समीक्षाओं के आधार पर फिल्म को 53% की स्वीकृति रेटिंग दी है, जिसकी रेटिंग 5.6 / 10 की औसत है। साइट की महत्वपूर्ण सर्वसम्मति में लिखा है, "जेसन स्टैथम और बेन फोस्टर सुखद प्रदर्शनों में बदल जाते हैं, लेकिन यह सतही रीमेक उन्हें दिमाग सुन्न करने वाली हिंसा और एक्शन थ्रिलर क्लिच के साथ धोखा देता है।" मेटाक्रिटिक पर, जो मुख्यधारा के आलोचकों से समीक्षा के लिए एक भारित औसत स्कोर प्रदान करता है, फिल्म ने 35 आलोचकों के आधार पर 100 में से 49 का औसत स्कोर प्राप्त किया, जो "मिश्रित या औसत समीक्षाओं" को दर्शाता है। रोजर एबर्ट ने फिल्म को चार में से दो सितारों से सम्मानित किया और कहा, "ऑडियंस को शोर और आंदोलन को मनोरंजन के रूप में स्वीकार करने के लिए ड्रिल किया गया है। यह इतनी अच्छी तरह से किया जाता है कि यह पूछना लगभग भूल जाता है कि ऐसा क्यों किया गया है। " टीवी विज्ञापन प्रतिबंध. जून 2011 में ब्रिटेन के विज्ञापन मानक प्राधिकरण ने फिल्म के विज्ञापन को ब्रिटिश टेलीविजन पर प्रसारित करने से प्रतिबंधित कर दिया। किशोर शो "ग्ली के" दौरान विज्ञापन की स्क्रीनिंग के संबंध में प्रतिबंध ने 13 दर्शकों की शिकायतों का पालन किया। अपने निर्णय में, प्राधिकरण ने पाया कि यद्यपि विज्ञापन को पोस्ट- वाटरशेड दिखाया गया था, यह संभावना थी कि 16 वर्ष से कम आयु के दर्शक बड़ी संख्या में उस समय "उल्लास" को देख रहे होंगे, और "हिंसक कल्पना की धारा" की आलोचना करेंगे। विज्ञापन में। परिणाम. डेनिस गनसेल ने एक सीक्वल का निर्देशन किया, जिसमें जेसन स्टैथम ने आर्थर बिशप के रूप में वापसी की।
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पाण्डव पुराण. पाण्डव पुराण की रचना आचार्य शुभचन्द्र भट्टारक द्वारा की गयी थी। इस ग्रन्थ में महाभारत को जैन दर्शन से बताया गया है।
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दिल्ली की अर्थव्यवस्था. दिल्ली की अर्थव्यवस्था भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच 13 वीं सबसे बड़ी है। 2017-18 में जीडीपी वृद्धि दर ८.१ % दर्ज की गयी | २०१४-१५ में यह ९.२ % थी | दिल्ली उत्तरी भारत का सबसे बड़ा व्यावसायिक केंद्र है | 2016 तक, दिल्ली के शहरी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का हालिया अनुमान $ 167 से $ 369 बिलियन (PPP मेट्रो जीडीपी) है जो इसे भारत के सबसे या दूसरे सबसे अधिक उत्पादक मेट्रो क्षेत्र की श्रेणी में रखता है । विनिर्माण. विनिर्माण में वृद्धि हुई क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों ने शहर में विनिर्माण इकाइयों और मुख्यालय की स्थापना की है | बड़े बाजार के कारण दिल्ली ने विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया है | देश की कुल जीडीपी में दिल्ली का योगदान 4.94% है | 2001 में, विनिर्माण क्षेत्र में 1,440,000 श्रमिक कार्यरत थे और शहर में 129,000 औद्योगिक इकाइयाँ थीं। सेवा. प्रमुख सेवा उद्योग सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, होटल, बैंकिंग, मीडिया और पर्यटन हैं । निर्माण, बिजली, स्वास्थ्य और सामुदायिक सेवाएं और रियल एस्टेट भी शहर की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं | खुदरा. दिल्ली में भारत का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से बढ़ता खुदरा उद्योग है | सूचान प्रौद्योगिकी. दिल्ली में विभिन्न कंपनियों के मुख्यालय स्थित है | भारत के अन्य क्षेत्रों की तरह, दिल्ली में आईटी उद्योग का विस्तार हुआ है | पर्यटन. देश की राजधानी तथा इतिहास का महत्वपूर्ण स्थल होने के कारण विभिन्न पर्यटक दिल्ली की और आकर्षित होते हैं | लाल किला, कुतुब मीनार आदि प्रमुख पर्यटन स्थल है | दिल्ली का पर्यटन क्षेत्र अपने सकल घरेलू उत्पाद का 5.6% हिस्सा है और दिल्ली सरकार इसे "उच्च विकास उद्योग" मानती है । देश के ६२% पर्यटक दिल्ली आते हैं |
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अजमेर ग्रामीण. अजमेर ग्रामीण राजस्थान के अजमेर ज़िले में एक पंचायत समिति है। इसका निर्माण नवंबर 2019 में हुआ। वर्तमान में इस पंचायत समीति के अन्तर्गत कुल 33 ग्राम पंचायते है। 25 श्रीनगर से 8 पीसांगन से हटा कर समिलित की गई है।
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तबीजी. यह गाँव जो कि ,अजमेर जिले मे शहर के दक्षिण मे स्थित है। रा.राज मार्ग स.8 से 200 मीटर दूरी पर स्थीत है तथा अजमेर रेल्वे स्टेशन से 14 कि मी व रोडवेज बस स्टेड से 16 कि मी दूरी पर स्थीत है। गाँव मे निम्न राजकीय संंस्था है:- 1- ग्राम पंचायत कार्याल्य 2- पटवार कार्याल्य 3- उप डाक घर 305206 4- उप स्वास्थ केन्द्र 5-रा.उ.मा.विधाल्य 6-सहकारी दुग्ध उत्पादक ड्येरी(सरस) 7-यहां पर देश के प्रथम बीजीय मशाला अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई ।
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राज्य महामार्ग २७५ (महाराष्ट्र). राज्य महामार्ग २७५ तथा प्रमुख राज्य महामार्ग ११ (महाराष्ट्र) यह भारत का प्रमुख मार्ग है| यह मार्ग महाराष्ट्र तथा मध्य प्रदेश से जुडा हुवा है| जंक्शन. यह राज्य महामार्ग महाराष्ट्र राज्य का प्रमुख महामार्ग है तथा प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग से गुजरता है-
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राज्य महामार्ग ३५४ (महाराष्ट्र). राज्य महामार्ग ३५४ यह महाराष्ट्र राज्य का प्रमुख महामार्ग है|
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राज्य महामार्ग ३६६ (महाराष्ट्र). राज्य महामार्ग ३६६ यह महाराष्ट्र राज्य का प्रमुख महामार्ग है|
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तमिल रॉकर्स. तमिल रॉकर्स एक टोरेंट वेबसाइट है जो कॉपीराइट सामग्री के अवैध वितरण की सुविधा देती है, जिसमें टेलीविज़न शो, फ़िल्में, संगीत और वीडियो शामिल हैं। साइट आगंतुकों को चुंबक लिंक और टोरेंट फाइलों की सहायता से कॉपीराइट की गई सामग्री को खोजने और डाउनलोड करने की अनुमति देती है, जो पीयर-टू-पीयर फ़ाइल साझा करने की सुविधा प्रदान करती है। भारत में आईएसपी को वेबसाइट तक पहुंच को अवरुद्ध करने का आदेश दिया गया है। वेबसाइट नए वेब पतों की एक श्रृंखला पर स्विच करके ऑपरेशन जारी रखती है। पायरेट साइटों, ऐप्स और होस्टिंग प्रदाताओं की अपनी पारंपरिक सूची के अलावा, फिल्म उद्योग समूह MPAA अब कुख्यात बाजारों में से एक के रूप में तमिल रॉकर्स को सूचीबद्ध करता है। तमिल रॉकर्स एक पाइरेसी वेबसाइट है, जो अवैध रूप से फ़िल्में डाउनलोड के लिए पाइरेटेड लेटेस्ट तमिल, तेलुगु, मलयालम, और बॉलीवुड फिल्में ऑनलाइन उपलब्ध कराती है। तमिल रॉकर्स एक अवैध वेबसाइट है जो दक्षिण भारतीय फिल्म प्रशंसकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात "पायरेट बे" का एक देसी संस्करण है जहां से एक टॉरेंट क्लाइंट के माध्यम से मुफ्त में ज्यादातर दक्षिण भारतीय फिल्में और अन्य सामग्री डाउनलोड कर सकते हैं। विभिन्न लोकप्रिय तमिल, तेलुगु, मलयालम और अन्य भाषा की फिल्में नियमित रूप से साइट पर अपलोड की जाती हैं। हालाँकि यह वेबसाइट स्वयं सरकार द्वारा अवरुद्ध है, लेकिन प्रॉक्सी सर्वर द्वारा आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। तमिलरॉकर्स की सूची में टोरेंट के लिए सनकी के शीर्ष 10 सबसे लोकप्रिय टोरेंट साइटों में दसवें सबसे लोकप्रिय टोरेंट साइट है। इतिहास. तमिल रॉकर्स एक बूटिग रिकॉर्डिंग नेटवर्क था जिसे 2011 में स्थापित किया गया था और बाद में यह एक सार्वजनिक टोरेंट वेबसाइट बन गया, जो मूल अंग्रेजी ऑडियो के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में डब की गई हॉलीवुड फिल्मों के अलावा भारतीय फिल्मों की पायरेटेड प्रतियों के साथ लिंक करता है।
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