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117
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मेरे हिसाब से तो बादल तभी गरजते हैं |
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अपने ऊपर विश्वाश और सकारात्मक सोच से ही हमें सफलता मिलती है |
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वह कुत्ते की तरह हाँफ़ रहा था |
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स्थिति काबू से बाहर हो रही थी |
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गाँधी जी तो थक जायेंगे वे दाँडी बस या ट्रेन से क्यों नहीं जा सकते |
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दिनभर का थका जानवर पैर न उठते थे |
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कभी आसमान पर जाते हुए मालूम होंगे |
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लगा कि दादाजी पेड़ की लड़ाई जीत गए |
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इसी दौरान गांधी ने ब्रह्मचर्य का प्रण लिया और |
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अपनी मोटर को झटके से शुरू करते हैं |
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और भेदभाव के ख़िलाफ़ उन्होंने |
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इस चपरासी से इतना डरा मानो कि वह मुझे देख लेता |
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कभी इस गॉँव का जिक्र उनके सामने आया |
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देवी की समाधिसदृश पूजा करते थे |
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अभी पकड़ते हैं उनको |
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शैल के एक ऊँचे शिखर पर चंपा के नाविकों को |
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मीनू की आंखों से आंसू झरझर बहने लगे |
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यारे दोस्तों दरवाज़ा थोड़ा सा और खोल दो |
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इस घटना के बाद गांधी को |
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पेड़ों पर चढ़कर कच्चे आम तोड़ना मोरू को अच्छा लगता था |
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आखिर वे रात पेड़ पर नहीं बिता सकते थे न |
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हर सपना जब वो टूटा |
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निर्दयता और विश्वासघातकता का |
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तू ही तो है राह जो सुझाए |
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तब साहु जी को कुछ शक हुआ |
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शिक्षक की नज़र भी बाहर गई और |
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वे अपने साथ एक बैनर लाए थे जिस पर लिखा था |
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परन्तु अधिकांश लोग और तार्किक अर्थ अयोध्या के |
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तुम्हारा गुनगान कर रही थी |
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सचमुच वह बालू की ही जमीन पर खड़ा था |
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तुम्हें यह काम करना है |
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ऐसे साजन की मुझको जरूरत नहीं |
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उसका पेट हंडिया की तरह फूला हुआ था |
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फेस्लर बताते हैं |
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लहरा लो तिरंगा प्यारा |
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बिहारः पहचान छिपाने के लिए डकैत ने मार दी महिला को गोली मौत |
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जज ने फैसला सुनायामुद्दई का दावा खारिज |
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उनमें सॉँड़ और गायें बैठी हुई जुगाली कर रही थी |
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मंडल के भवन में पग धरते ही उसकी |